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स्कूल निर्माण का मामला : बीएसए ने निलंबित शिक्षक को दिया आरोप पत्र, प्राइमरी स्कूलों के निर्माण में 50 लाख रुपये के घपले के आरोपी शिक्षक पर कसेगा शिकंजा

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बीएसए ने निलंबित शिक्षक को दिया आरोप पत्र : प्राइमरी स्कूलों के निर्माण में 50 लाख रुपये के घपले के आरोपी शिक्षक पर कसेगा शिकंजा

लखनऊ : राजधानी में प्राइमरी स्कूलों व पूर्व माध्यमिक स्कूलों के भवन निर्माण में करीब 50 लाख रुपये के घपले के आरोपी व निलंबित शिक्षक सतीश द्विवेदी को आखिरकार बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण मणि त्रिपाठी ने आरोप पत्र थमा दिया है। इस शिक्षक पर 22 आरोप लगाए गए हैं। छह महीने तक आरोपी शिक्षक के खिलाफ जांच होने के बाद यह कार्रवाई की गई है। फिलहाल आरोप सामने आने पर इन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है। अब एक महीने के भीतर इन्हें अपना जवाब देना होगा। जवाब मिलने के बाद निलंबित शिक्षक पर सख्त कार्रवाई होने की उम्मीद जताई जा रही है। 1राजधानी में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एक किलोमीटर पर प्राइमरी स्कूल व तीन किलोमीटर पर पूर्व माध्यमिक स्कूल बनाने का नियम है।

इसे पूरा करने के लिए हर साल लाखों रुपये की रकम आती है। बीएसए की निगरानी में यह काम स्कूल का प्रधानाचार्य व वरिष्ठ शिक्षक करता है, लेकिन वर्ष 2011 में गिंदन खेड़ा, ईश्वरी खेड़ा, मिर्जापुर, गहरू, प्रेमवतीनगर, अमौसी व कांशीराम कॉलोनी में विद्यालयों के निर्माण के लिए आई रकम खाते से निकाल ली गई। इसके अलावा बाउंड्रीवाल बनाने और टीचर्स लर्निग मैटेरियल बनाने के नाम पर भी खेल किया गया। इसके बाद आधे-अधूरे निर्माण को पूरा करने के भी निर्देश विभाग द्वारा दिए गए। मगर ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल मामले की शिकायत सामने आने के बाद करीब छह महीने पहले इसकी प्रारंभिक जांच हुई और शिक्षक सतीश द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया। फिलहाल अब मामले की विस्तृत जांच होने के बाद उस पर करीब 22 आरोप तय हुए हैं।

स्कूल निर्माण में घोटाला, बिना काम के डकार गए लाखों रुपए : जारी हुआ आरोप पत्र, एक महीने में रखना होगा पक्ष, इन स्कूलों के निर्माण में धांधली की पुष्टि


लखनऊ (डीएनएन)। राजधानी के परिषदीय विद्यालयों के निर्माण में करीब चार साल पहले लाखों रुपए का घोटाला किया गया। विभाग की ओर से जारी किया गया पैसा बिना निर्माण ही डकार लिया गया। इसके पीछे राजधानी के एक अधिकारी का नाम सामने आया। आरोप है कि अधिकारी के इशारे पर शिक्षकों ने ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद पैसों की बंदरबांट कर सरकारी पैसा डकार लिया गया। जब खुलासा हुआ तो शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया। लेकिन अधिकारी आज भी सुरक्षित हैं। घोटाले के चार साल बाद आरोपी शिक्षकों को आरोप पत्र जारी करते हुए एक महीने में अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है।दरअसल, मामला वर्ष 2007- से 2011-12 तक का है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन 24 स्कूलों में निर्माण कार्य के लिए लाखों रुपए का बजट जारी किया गया था। इस बजट का इस्तेमाल स्कूलज़ं में अतिरिक्त कक्ष निर्माण, चहारदीवारी निर्माण और स्कूलज़ं के नए भवन के लिए निर्माण के लिए किया जाना था। लेकिन ज्यादातर स्कूलों का निर्माण कार्य आज भी अधूरा है। इसके अलावा कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जो घटिया निर्माण की वजह से एक साल में ही खस्ताहाल हो गए। सूत्रों की मानें तो राजधानी के सरोजिनीनगर और उसके आसपास के क्ष्ज़त्र में बनने वाले इन स्कूलों के निर्माण के लिए आया जो पैसा आया उसमें चहारदीवारी, फर्श से लेकर अतिरिक्त कमरों का निर्माण किया जाना था। विभागीय जांच में सामने आया है कि एक शिक्षा अधिकारी की शह पर स्कूलों के शिक्षकों पर दबाव बनाया गया। उनसे बाकायदा ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर कराए गए। बाद में बिना निर्माण कराए ही पैसा निकाल लिया गया। साथ ही जहां निर्माण कराया गया वहां की स्थिति बहुत खराब हो गई। सूत्रों की मानें तो वर्ष 2010 से 2012 के बीच 250 अतिरिक्त कक्षा कक्षों के साथ 22 नए स्कूलज़ं और 18 स्कूलज़ं में चहारदिवारी का निर्माण किया जाना था। यानी 37 स्कूलज़ं में निर्माण कायज़ंर् के लिए तकरीबन 1.35 करज़ड़ रुपए दिए गए। इन 37 विद्यालयज़ं में 48 अतिरिक्त कक्ष, 1525 मीटर चहारदीवारी और तीन नए स्कूलज़ं का निर्माण किया जाना था।


स्कूल निर्माण घोटाले में चार साल बाद दिया आरोप पत्रराजधानी के परिषदीय विद्यालयों के निर्माण में हुई था लाखों का घोटाला

स्कूलों के निर्माण में जो घोटाला हुआ था, उसका आरोप पत्र 15 दिन पहले दिया जा चुका है। साथ ही आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय दिया गया। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।प्रवीण मणि त्रिपाठी बीएसए लखनऊ

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