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सीतापुर : प्राइमरी के पांच शिक्षक बर्खास्त, शासन की सलाह पर कार्रवाई, भर्ती प्रक्रिया में इससे पहले बर्खास्त शिक्षकों को कोर्ट दे चुका है स्टे

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सीतापुर : प्राइमरी के पांच शिक्षक बर्खास्त, शासन की सलाह पर कार्रवाई, भर्ती प्रक्रिया में इससे पहले बर्खास्त शिक्षकों को कोर्ट दे चुका है स्टे

🔵 बीएसए बोले-शासनादेशों का उल्लंघन कर अभ्यर्थियों ने हथियाई थी नौकरी

🔴 भर्ती प्रक्रिया में इससे पहले बर्खास्त शिक्षकों को कोर्ट दे चुका है स्टे

सीतापुर । शासनादेश को धता बताकर 16,448 प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में गाजियाबाद डायट से बीटीसी करने वाले पांच शिक्षकों को बीएसए ने बुधवार को बर्खास्त कर दिया। इस बात जांच पिछले कई महीनों से चल रही थी।

बताते चलें कि सपा शासनकाल में 16,448 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती की गई थी। इसमें प्रावधान था कि जिस जनपद से बीटीसी किया हो उसी में आवेदन को प्राथमिकता दें। गाजियाबाद डायट से बीटीसी किए हुए पांच अभ्यर्थियों ने प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए भर्ती प्रक्रिया में सीतापुर जिले को प्राथामिकता दे दी। इसमें खैराबाद ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय नन्दापुर की शिक्षिका युक्ति गुप्ता, ऐलिया के प्राथमिक विद्यालय पचैनापुर की शिक्षिका रूबी कटारिया, खैराबाद के प्राथमिक विद्यालय रफादपुर की शिक्षिका पूनम कुंसल, ऐलिया के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका नीतू और इसी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका सविता शामिल हैं। इन सभी शिक्षकों की जांच पिछले कई महीनों से चल रही थी। जांच के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शासन से कार्रवाई के लिए राय मांगी थी। शासन ने नियुक्ति के लिए अम्यर्थियों की ओर से अपनाए गए तरीके को गलत करार दिया। ऐसे में बीएसए ने बुधवार को पांचों शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया।

बतातें चलें कि 16,448 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण बड़े स्तर पर गड़बड़ी हो चुकी है। डीएड की डिग्री के मामले में इससे पहले 13 शिक्षक बर्खास्त किए जा चुके हैं। हालांकि अदालत से उनको रिलीफ मिल चुकी है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि विभाग सही है या अभ्यर्थी।

विभाग कोई ऐसी गलती नहीं तलाश पा रहा जिसे अदातल भी स्वीकार कर ले। पहले प्रकरण में अदालत अभ्यर्थियों के पक्ष में स्टे दे ही चुका है। इस बार भी बर्खास्त शिक्षक अदालत का दरवाज खटखटाने का मन बना लिए हैं। अधिकांश शिक्षकों का कहना कि योग्यता को जिले की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। नियम मनमाने तरह से बनाए गए। उसके लिए शासन जिम्मेदार है वह नहीं।

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