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बागपत : बहुत बढि़या प्रधान जी..बच्चे दुआएं देंगे

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बहुत बढि़या प्रधान जी..बच्चे दुआएं देंगे


जहीर हसन, बागपत: नंगला रवा गांव के प्रधान मुकेश कुमार का जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है।...

जहीर हसन, बागपत:

नंगला रवा गांव के प्रधान मुकेश कुमार का जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। उनकी अनूठी पहल ने बच्चों को सुनसान जंगल की दहशत व तीन किलोमीटर पैदल चलने की थकान से बचा लिया है। इसके लिए प्रधान को अपने पास से पांच लाख खर्च करने पड़े, क्योंकि स्कूल तथा आबादी का फासला मिटाने को जमीन खरीदकर नई राह बनानी पड़ी। अब बच्चे बेखौफ हैं और अभिभावक गदगद। ये था मामला

नंगला रवा गांव के अंतिम छोर पर प्राथमिक स्कूूल तथा उच्च प्राथमिक स्कूल एक परिसर में हैं। दोनों स्कूल और आबादी के बीच 25 मीटर लंबा प्लाट बाधा बना था। लिहाजा गांव के बच्चे पास के मंदिर परिसर से होकर स्कूल आने-जाने लगे। कुछ साल बाद मंदिर की चाहरदीवारी का निर्माण होने पर स्कूल में आने-जाने को सीधा रास्ता नहीं बंद हो गया। बच्चों को डेढ़ किलोमीटर गांव का चक्कर लगाकर जंगल से गन्ना खेतों के बीच से होकर स्कूल आना-जाना पड़ता था। तीन किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाने- आने में बच्चे बुरी तरह थक जाते थे। भरी दोपहरी और सुनसान जंगल में गन्ना खेतों के बीच से गुजरते बच्चों का डर के मारे दिल तब तक धक-धक करता था,जब तक वे अपने घर सुरक्षित नहीं लौट आते थे। मां-बाप को भी ¨चता रहती कि पता नहीं उनका बच्चा अब तक स्कूल से घर क्यों नहीं लौटा? रंग लाई पहल

गांव के कुछ बा¨शदों ने स्कूल जाने तक बच्चों की समस्या को प्रधान के सामने रखा। प्रधान ने प्लाट मालिक से बात कर अपना प्लाट स्कूल के रास्ते में दान करने की अपील की। प्लाट मालिक ने अपनी मजबूरी बताई, लेकिन वह प्लाट बेचने को तैयार हो गया। पांच लाख रुपये में सौदा तय हुआ, लेकिन चंदा लेना प्रधान के जमीर ने सही नहीं माना। लिहाजा प्रधान मुकेश कुमार ने परिजनों से बात की जो खुशी-खुशी प्लाट खरीदकर स्कूल और आबादी के बीच सीधी राह बनाने को तैयार हो गए। फिर प्रधान ने जमीन खरीदकर आबादी और स्कूल के बीच सीधी राह बना दी। खरीदे गए 100 गज के प्लाट में रास्ते के लिए 25 मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी यानी कुल 75 मीटर जमीन की जरूरत पड़ी। बाकी 25 मीटर जमीन प्रधान ने उन परिवारों को मुफ्त दे दी जिनके मकानों की दीवारें टेढ़ी-मेढ़ी थी। इन्होंने कहा..

प्रधानजी ने अपने रुपयों से प्लाट खरीदकर स्कूल का रास्ता बनवाया। इससे बच्चों को स्कूल से घर तक आने-जाने का तीन किलोमीटर पैदल चलने का सफर खत्म हो गया। पहले दोनों स्कूलों में महज 57 बच्चे थे, लेकिन बच्चों की संख्या 111 है।

वरुण कुमार, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक स्कूल

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