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लखनऊ : नई शिक्षा नीति से पूरा होगा 'स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया' का लक्ष्य

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लखनऊ : नई शिक्षा नीति से पूरा होगा 'स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया' का लक्ष्य

लखनऊ। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिए गठित टास्क फोर्स की पहली बैठक बृहस्पतिवार को सचिवालय में हुई। इस दौरान उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा-नई शिक्षा नीति से स्टडी

इन इंडिया, सटे इन इंडिया' का लक्ष्य पूरा होगा। इसके लिए टास्क फोर्स प्रारूप तैयार करेगा। जिससे देश-प्रदेश के बच्चे पढ़ने के लिए विदेश न जाएं और बिदेशों से बच्चें शिक्षा के लिए भारत आएं। शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के बच्चों को प्राथमिक स्कूल से ही रोजगारपरक शिक्षा दी जाएगी। जिससे जे आत्मनिर्भ बन सकें। इसके लिए प्रदेश में ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी कि शतप्रतिशत बच्चों का नामांकन हो और स्कूली शिक्षा में यूपी एक बार फिर अव्वल बने। 


उन्होंने नई शिक्षा नीति के क्रियानकवयन के लिए बेसिक,माध्यमिक, प्रावधिक. और व्यावसायिक शिक्षा विभाग को एक स्टीयरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। टास्क फोर्स की अगली बैठक 28 सितंबर को होगी। बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा एस राधा चौहान, एकेटीयू के कुलपति डॉ. विनय पाठक, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अशोक गांगुली सहित टास्क फोर्स के अन्य सदस्य मौजूद थे।


प्रदेश में आंगनबाड़ियों में प्रशिक्षण देने के बाद प्री प्राइमरी कक्षाओं की देखरेख कैसे हो। ऐसे शैक्षिक संस्थानों के समूह हो जहां लड़की कक्षा एक में प्रवेश ले और बारहवीं कर निकले। ये और ऐसे ही कुछ सुझाव नई शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने के लिए बनी टॉस्क फोर्स के सामने रखे गए। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन पर विचार हुआ। 



उपमुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए निर्देश दिए कि सभी संबंधित विभागों की स्टीयरिंग कमेटी बना लें। कमेटी की अगली बैठक 28 सितम्बर को होगी। टास्क फोर्स सभी पहलुओं पर निर्णय लेगी और अंतर विभागीय समन्वय स्थापित करेगी। डा. शर्मा ने कहा कि इस नीति के पूरी तरह से लागू होने के बाद लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का प्रभाव खत्म हो जाएगा। नई नीति के तहत भारत के विश्वविद्यालय विदेशों में अपने कैंपस खोल सकते हैं और विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस भारत में खुल सकते हैं। इस नीति के तहत सभी श्रेणी और वर्गों के छात्र-छात्राओं को समान शिक्षा मिलेगी। 34 वर्षों के बाद ऐसी नीति आई है, जिसमें बुनियादी से लेकर उच्च शिक्षा के स्तर पर ध्यान दिया गया है। आने वाले समय में नई शिक्षा नीति का व्यापक प्रभाव दिखाई देगा। 


डॉ शर्मा ने कहा कि रोजगारपरक शिक्षा प्रारंभिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को दी जाए। शिक्षा के दौरान ही रोजगार की संभावनाओं को हासिल किया जा सके। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि ऐसी शिक्षा हो जिससे छात्रों को परीक्षा का तनाव नहीं रहे। अपनी रुचि के अनुसार छात्र विषय का चयन कर सके। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में नीति की कई बातों को लागू किया जा चुका है। प्री प्राइमरी कक्षाएं, लर्निंग आउटकम, त्रैमासिक परीक्षा, ग्रेडेड लर्निंग आदि कार्यक्रम लागू किए जा चुके हैं। वर्ष 2022 तक प्राइमरी स्कूलों के सभी छात्रों द्वारा बुनियादी साक्षरता और अंकगणितीय कौशल प्राप्त किए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। बैठक में कमेटी के सदस्य डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी, रेणुका कुमार, एस.राधा. चौहान, मोनिका एस. गर्ग, आराधना शुक्ला, डा. विनय पाठक, अशोक गांगुली, वाचस्पति मिश्र, डा. निशा पांडे, डा. अब्बास नैयर और विजय किरण आनंद उपस्थित थे। जूम एप के माध्यम से कृष्ण मोहन त्रिपाठी व वी.पी. खंडेलवाल, अरविंद मोहन भी बैठक में शामिल हुए।

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