हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों के अंतरजनपदीय तबादले की सूची पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि परिषद अध्यापकों के स्थानांतरण के लिए आए आवेदनों पर विचार जारी रखे लेकिन स्थानांतरण सूची को अंतिम रूप न दे।यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिव्या गोस्वामी और जय प्रकाश शुक्ल सहित अन्य कई अध्यापकों की याचिकाओं पर दिया है। याचिकाओं में अंतरजनपदीय स्थानांतरण को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा, एडवोकेट सीमांत सिंह, अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, नवीन शर्मा आदि दर्जनों वकीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है, जो तीन नवंबर को सुनाया जाएगा। कोर्ट ने तब तक सूची को अंतिम रूप देने पर रोक लगाई है।याचिकाओं में अंतरजनपदीय स्थानांतरण के तहत पुरुष और महिला अध्यापकों के स्थानांतरण के लिए तय नियमों और पूर्व के आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप है। कहा गया कि ये स्थानांतरण वर्ष 2008 की नियमावली के विपरीत किए जा रहे हैं। नई स्थानांतरण नीति में प्रावधान यह है कि एक बार जिसने स्थानांतरण ले लिया, वह दोबारा नहीं ले सकता। जबकि 2017 के शासनादेश में ऐसा प्रावधान था जिसे 2018 में हटा लिया गया। अब 2019 के शासनादेश में फिर वही प्रावधान लागू कर दिया गया। याचिकाओं में कहा गया कि ये नियमित स्थानांतरण नहीं है। जिन अध्यापकों को अपने गृह जनपद में पोस्टिंग नहीं मिली, उन्हें दोबारा स्थानांतरण की मांग करने का अधिकार है। उन्हें इससे वंचित नहीं किया जा सकता। साथ ही नियमावली में बदलाव करने का कोई कारण नहीं बताया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है।
MAN KI BAAT : भारत के समेकित और समग्र विकास का रास्ता गांवों के सरकारी स्कूलों के दरवाजे से ही निकलेगा...लिहाजा इन स्कूलों की साख और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने होंगे। शिक्षा की नीति को शिक्षकों को समाज के सर्वाधिक सम्माननीय और अनिवार्य सदस्य के रूप में पुन: स्थान देने में.....
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*MAN KI BAAT : भारत के समेकित और समग्र विकास का रास्ता गांवों के सरकारी
स्कूलों के दरवाजे से ही निकलेगा...लिहाजा इन स्कूलों की साख और स्वीकार्यता
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