सोनभद्र : कम्पोजिट विद्यालय पल्हारी नगवा सोनभद्र में धूमधाम से मनाई गई संत रविदास जयंती
कंपोजिट विद्यालय पल्हारी नगवा सोनभद्र पर डॉ बृजेश कुमार सिंह ब्लॉक स्काउट शिक्षक के नेतृत्व में माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती 27 फरवरी को 644 वीं वर्षगांठ बच्चों के साथ मनाई गयी. इस अवसर पर डॉक्टर बृजेश महादेव ने बच्चों को बताया कि संत रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सिरगोबर्धनपुर गाँव में हुआ था और उनकी माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास जी था. संत रविदास जी के पिता जूते बनाने का काम करते थे. रविदाज जी भी अपने पिता की जूते बनाने में मदद करते थे. इस कारण उन्हें जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला. उन्होंने इसे खुशी से इसे अपनाया और पूरी लगने के साथ वह जूते बनाया करते थे. साधु-संतों के प्रति शुरुआत से ही संत रविदास जी का झुकाव रहा है. जब भी उनके दरबार पर कोई साधु- संत या फकीर बिना जूते चप्पल के आता था, तो वह उन्हें बिना पैसे लिए जूते चप्पल दे दिया करते थे. समाज में फैले भेद-भाव, छुआछूत का वह जमकर विरोध करते थे. जीवनभर उन्होंने लोगों को अमीर-गरीब हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख दी. उनका मानना था कि हर व्यक्ति को भगवान ने बनाया है, इसलिए सभी को एक समान ही समझा जाना चाहिए. वह लोगों को एक दूसरे से प्रेम और इज्जत करने की सीख दिया करते थे. संत रविदास की एक खासियत ये थी कि वे बहुत दयालु थे. दूसरों की मदद करना उन्हें भाता था. कहीं साधु-संत मिल जाएं तो वे उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटते थे. शिक्षा मित्र श्री शिव शंकर मसराम ने संत रविदास जयंती के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की तथा मन चंगा तो कठौती में गंगा का संदेश दिया
MAN KI BAAT : भारत के समेकित और समग्र विकास का रास्ता गांवों के सरकारी स्कूलों के दरवाजे से ही निकलेगा...लिहाजा इन स्कूलों की साख और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने होंगे। शिक्षा की नीति को शिक्षकों को समाज के सर्वाधिक सम्माननीय और अनिवार्य सदस्य के रूप में पुन: स्थान देने में.....
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*MAN KI BAAT : भारत के समेकित और समग्र विकास का रास्ता गांवों के सरकारी
स्कूलों के दरवाजे से ही निकलेगा...लिहाजा इन स्कूलों की साख और स्वीकार्यता
बढ़ाने के...