केंद्रीय विश्वविद्यालय : एससी, एसटी ओबीसी के 58% शिक्षक पद खाली, बीएचयू ने सामान्य वर्ग में स्वीकृत पद से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की
√ बीएचयू ने सामान्य वर्ग में स्वीकृत पद से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की
√ 49 प्रोफेसर के पद पर एससी-एसटी वर्ग के हैं
√ 1041 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद ओबीसी कोटे के खाली
√ 3089 शिक्षकों के पद सामान्य वर्ग से खाली हैं,
√ 16339 शिक्षकों के स्वीकृत पद हैं
नई दिल्ली। देश के 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों के 58 फीसदी पद खाली हैं। इन वर्गों के लिए स्वीकृत 4763 पद में से सिर्फ 1977 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर की नियुक्तियां हुई हैं। इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए बीएचयू और एचएनबी गढ़वाल ने स्वीकृत पदों से ज्यादा नियुक्तियां सामान्य वर्ग में कर ली थी। आंकड़े एक साल पुराने हैं लेकिन वर्तमान में भी इनकी प्रासंगिकता है क्योंकि हाल ही में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला के सुसाइड के बाद आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है।
आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2015 में आरटीआई के माध्यम से यूजीसी से केंद्रीय विवि में एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों का ब्योरा मांगा था। आरटीआई (2015) के मुताबिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 6107 असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर के पद खाली हैं। इनमें 1135 एससी, 610 एसटी और 1041 ओबीसी कोटे के पद हैं। जबकि शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 16339 हैं।
आरटीआई से खुलासा, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें खाली
शिक्षकों (सभी वर्ग) के सबसे ज्यादा 1667 पद उत्तर प्रदेश के चार केंद्रीय विवि में खाली हैं। दिल्ली प्रदेश के तीन विवि में 1405, उत्तराखंड के एक विवि में 165, जम्मू व कश्मीर के दो विवि में 172, हरियाणा के एक विवि में 145, हिमाचल के एक विवि में 121, पंजाब के एक विवि में 111 असि. प्रोफे., असो. प्रोफे., प्रोफेसर के पद खाली थे।