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बस्ती : न पढ़ पाते छात्र, न पढ़ा पाते गुरुजी

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न पढ़ पाते छात्र, न पढ़ा पाते गुरुजी

बस्ती: सरकार गंभीर, विभाग सर्तक, योजनाओं की भरमार और लक्ष्य केवल बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने

बस्ती: सरकार गंभीर, विभाग सर्तक, योजनाओं की भरमार और लक्ष्य केवल बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के साथ योग्य बनाना। बावजूद पूरी व्यवस्था हमेशा सवालों के घेरे में है। निजी स्कूलों को टक्कर देने का सपना पाले तमाम परिषदीय विद्यालय एकल शिक्षक के सहारे संचालित हो रहे है। इन विद्यालयों की स्थिति यह है कि न तो बच्चे पढ़ पा रहे हैं और न गुरुजी पढ़ा पा रहे हैं। अध्यापकों की कमी के चलते पूरी व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। एकल विद्यालय में अध्यापक एक से पांच तक के छात्र-छात्राओं को एक साथ पढ़ा रहे हैं, गृहकार्य भी सभी को एक सा ही दे रहे हैं। व्यवहारिक दुश्वारियों से दो चार हो रहे एकल शिक्षक चंद सहयोगी अध्यापकों की राह देख रहे हैं। निश्चित तौर पर उक्त विद्यालयों पर अध्यापकों, सहायक अध्यापकों की तैनाती होने पर ही व्यवस्था में सुधार होगा।

सोमवार को जागरण ने गौर ब्लाक के एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालय इटहिया की हकीकत जानने का प्रयास किया। यहां तैनात प्रधानाध्यापक वेद प्रकाश कन्नौजिया ने बताया कि विद्यालय वर्ष 2013 में शुरू हुआ, तभी से वह यहां पढ़ा रहे हैं। बाद में एक सहायक अध्यापक तैनात किए गए। उनका तबादला दूसरे ब्लाक में कर दिया। अब कुल पंजीकृत बाइस बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अकेले वेद प्रकाश पर है।

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एक बजे के बाद निबटाते हैं कार्य:

वेद प्रकाश ने बताया कि अकेले होने के चलते सभी कक्षाओं के बच्चों को एक साथ पढ़ाना पड़ रहा है। यहां तक कि सभी को एक ही गृहकार्य दिया जाता है। प्रयास रहता है कि सभी कक्षाओं का पाठयक्रम पूरा कराया जाए। विभागीय कार्य वेद प्रकाश स्कूल बंद होने के बाद करते हैं। यहां तक कि विषम परिस्थितियों में व्यक्तिगत अवकाश लेने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है। हमारे यहां प्रेरक अथवा शिक्षामित्र की भी व्यवस्था नही है।

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7 से 22 तक पहुंची छात्र संख्या

प्राथमिक विद्यालय इटहिया पर पहले वर्ष छात्रों की संख्या केवल सात थी। तीन वर्षो में यह संख्या बाइस पहुंच गई है। वेद प्रकाश के मुताबिक छात्रों की संख्या बढ़ने में व्यवहारिक कठिनाई यह है कि अधिकांश अभिभावक अपनी जिम्मेदारी के प्रति संवेदनशील नही है। यदि वे भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरूक हों, तथा अपने विचार विद्यालय प्रबंधन से साझा करें, तो परिणाम बेहतर आएगा।

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अपना-पराया विषय पता नहीं

कक्षा तीन की छात्रा रूबी ने कहा कि सब लोग एक साथ बैठकर पढ़ते हैं, इसलिए अपना-पराया विषय पता ही नही है। सबसे लिए एक ही गृहकार्य मिलता है। कक्षा चार के कमलेश और कक्षा पांच के अर्जुन ने कहा कि पहले एक मास्टर साहब थे, वह चले गए, तब से हम सब एक साथ पढ़ते हैं।

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ढाई साल से दूषित पानी पी रहे बच्चे

यहां की मुसीबत केवल अध्यापकों की कमी तक सीमित नहीं है। ढाई साल से बच्चे दूषित पानी पीकर पढ़ रहे हैं। क्योंकि विद्यालय का इंडिया मार्क हैंडपंप खराब है। वेद प्रकाश ने हैंडपंप बनवाने के लिए ब्लाक से लेकर संबंधित विभाग को कई बार अर्जी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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जल्द होगा व्यवस्था में सुधार

जिला बेसिक शिक्षाधिकारी मनीराम ¨सह ने कहा कि एकल अध्यापक वाले परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की तैनाती की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। जल्द संबंधित विद्यालयों में अध्यापकों की संख्या बढ़ जाएगी। रही बात हैंडपंप के खराबी की तो उसे भी संबंधित विभाग को पत्र लिखकर जल्द सही करा दिया जाएगा।

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