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इलाहाबाद : आरक्षण लागू करने में मनमानी पर हाईकोर्ट सख्त, जब पात्र लोगों को मिलने वाला गलत आरक्षण के कारण अपात्र व्यक्ति को चला जाता है, ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर सुनियोजित तरीके से किया जा रहा - हाइकोर्ट

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इलाहाबाद : आरक्षण लागू करने में मनमानी पर हाईकोर्ट सख्त, जब पात्र लोगों को मिलने वाला गलत आरक्षण के कारण अपात्र व्यक्ति को चला जाता है, ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर सुनियोजित तरीके से किया जा रहा - हाइकोर्ट

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । सरकारी नौकरियों में गलत तरीके से आरक्षण लागू कर कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के मामलों पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। कहा कि ऐसा बार-बार हो रहा है जब पात्र लोगों को मिलने वाला गलत आरक्षण के कारण अपात्र व्यक्ति को चला जाता है। ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। लोक पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए यह शर्मनाक है। जब लाखों युवा नौकरी के लिए कतार में लगें हैं तो जिसका जो हक है उसे दिया जाना चाहिए।
वाराणसी के दयाशंकर सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की पीठ ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसी ने किसी को जेल जाना पड़ेगा। याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने बताया कि याची ने लेखपाल भर्ती के लिए शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के कोटे में आवेदन किया था। इस कोटे के तहत कुल पांच सीटें थीं। याची सामान्य वर्ग का अभ्यर्थी है। आठ फरवरी 2016 को जारी परिणाम में वह चयनित हो गया। इसके बाद जिला स्तरीय चयन कमेटी ने परिणाम संशोधित कर दिया। 19 मार्च 2016 को घोषित संशोधित परिणाम में याची चयन सूची से बाहर हो गया और उसकी जगह सामान्य की सीटें ओबीसी और एससी अभ्यर्थियों से भर दी गईं, जबकि याची को उनसे अधिक अंक प्राप्त हुए थे।
जबकि क्षैतिज आरक्षण उसी वर्ग के भीतर दिया जा सकता है, जिस वर्ग का अभ्यर्थी है। स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि गलती से क्षैतिज आरक्षण लागू हो गया है, उन्होंने कोर्ट से अनुमति मांगी कि इसे सुधारने की अनुमति दी जाए। इस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि अधिकारी जानबूझकर ऐसा दांव चलते हैं। पकड़े गए तो माफी मांग कर सुधार कर लेंगे नहीं तो उनका काम बन जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इस गलती के लिए जिम्मेदार व्यक्ति सामने आना चाहिए। डीएम वाराणसी को 22 फरवरी तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
पहले भी उठ चुका है गलत आरक्षण का विवाद
1- 4010 दरोगा भर्ती मेें गलत तरीके से लागू क्षैतिज आरक्षण हाईकोर्ट ने रद्द किया
2- 41610 सिपाही भर्ती में गलत क्षैतिज आरक्षण कोर्ट के आदेश पर सुधारा गया
3- 2009 की पुलिस भर्ती में ओबीसी को अधिक सीटें देने पर याचिका दाखिल हुई
4- कृषि विभाग में तकनीकी सहायक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 200 सीटें अधिक दी गई, भर्ती हाईकोर्ट ने रद्द की

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