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मुजफ्फरनगर : वेतन 50 हजार, खाते में डाले लाखों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मिटाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भ्रष्टाचार की लिख रहे इबारत

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मुजफ्फरनगर : वेतन 50 हजार, खाते में डाले लाखों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मिटाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भ्रष्टाचार की लिख रहे इबारत

सर्वेद्र पुंडीर, मुजफ्फरनगर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मिटाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भ्रष्टाचार की इबारत लिख रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरनगर में सामने आया है। यहां के कुछ अफसरों की मिलीभगत से लेखा विभाग ने कुछ अध्यापकों के खाते में उनके वेतन से चार गुना पैसा डाल दिया। इसके बाद यह रकम हड़प कर ली गई। मामले की शिकायत सीएम से हुई तो सीडीओ ने जांच शुरू की। सूत्रों की मानें तो जनपद में विभाग के अफसरों ने लाखों का घोटाला किया है।

सालभर से चल रहा 'खेल'

दैनिक जागरण के पास वह गोपनीय शिकायत है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि कुछ अध्यापकों के खाते में पिछले एक साल से यह पैसा डाला जा रहा है। अध्यापकों की संख्या भी 10-15 बताई गई है। यदि एक अध्यापक के खाते में वेतन से अलग दो लाख भी डाले गए हैं तो एक माह में 20-30 लाख रुपये हो गए। एक साल में ढाई से साढ़े तीन करोड़ रुपये का घोटाला बैठता है।

इस तरह सामने आया मामला

विभाग के ही एक कर्मचारी ने इस मामले की सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत की। सीएम कार्यालय से इसकी जांच सीडीओ अंकित अग्रवाल को सौंपी है। उन्होंने जांच शुरू की तो सामने आया कि कुछ अध्यापकों के खाते में पैसा जरूर गया है। यह पैसा गलती से गया है या फिर जानबूझकर डाला गया है इसकी जांच अभी बाकी है, लेकिन सवाल यह भी है कि गलती एक दो बार हो सकती है, बार-बार नहीं।

यह उठ रहे घोटाले पर सवाल

- कितने अध्यापकों के खातों में वेतन से चार गुना पैसा जा रहा था?

- इन अध्यापकों से कैश में शिक्षा विभाग का कौन अधिकारी या कर्मचारी पैसा वापस ले रहा था?

- क्या बीएसए को इस खेल के बारे में जानकारी नहीं थी?, यदि थी तो रोक क्यों नहीं लगी?

- लेखा विभाग जो खाते में वेतन भेजता है, इतनी बड़ी गलती कैसे हुई है?

इस तरह चलता रहा 'खेल'

सूत्रों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में यह खेल करीब एक साल से चल रहा है। जहां पर अध्यापक का खाली पद है, वहां भरा हुआ पद दिखाकर अपनी चहेते अध्यापक के खाते में खाली पद वाले स्थान की सैलरी डाल दी जाती थी। इसके बाद चहेते अध्यापक के दस अवैध काम कराने का हवाला देकर उससे वह पैसा वापस ले लिया जाता था। अनुमान यह भी है कि अध्यापक को भी कुछ प्रतिशत पैसा दिया जा रहा था, जो जांच पूरी होने के बाद सामने आएगा।

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मुख्यमंत्री के यहां एक गोपनीय शिकायत हुई है। इसमें आरोप है कि शिक्षा विभाग मुजफ्फरनगर ने कुछ अध्यापकों के खातों में वेतन डालते समय कई-कई लाख रुपये डाले जा रहे हैं। इसकी जांच मुख्यमंत्री कार्यालय से मुझे सौंपी है। बीएसए से कुछ ¨बदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। चुनाव के बाद जांच पूरी कर ली जाएगी।

- अंकित अग्रवाल, सीडीओ मुजफ्फरनगर।

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