नई दिल्ली : विद्यालयों में प्रार्थना को धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता
केंद्रीय विद्यालय की प्रार्थना पर सवाल उठाए गए हैं। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो स्कूल की प्रार्थना को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। स्कूलों में प्रार्थना बच्चों में संस्कार और अनुशासन सिखाने के लिए कराई जाती है। विशेषतौर पर जो प्रार्थना केंद्रीय विद्यालय में कराई जाती है उससे किसी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होता। 1इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसआर सिंह का कहना है कि जो संस्कृत श्लोक और हंिदूी की प्रार्थना है, उसमें विद्या का दान मांगा जा रहा है। सभी धर्मो के बच्चों को विद्या चाहिए होती है। डॉक्टर राधाकृष्णन जब मॉस्को गए थे तो उनसे लोगों ने पूछा धर्म क्या है तो उन्होंने जवाब दिया था कि सत्यं शिवमं सुन्दरम की तलाश उस पर चलना धर्म है। यानी जो सत्य है वही सुंदर है वही कल्याणकारी है।गलत नहीं है।लोग धर्म का मतलब नहीं समझ रहे। प्रार्थना का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। प्रार्थना में विद्या का दान मांगा गया है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की बात है।
एसआर सिंह, जस्टिसजो कार्यक्रम मानवता की ओर लेकर जाता है उसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। वो किसी भी तरह से धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है।
डीके गर्ग, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता
देश में 1,125 सेंट्रल स्कूल
पिछले 50 सालों से सेंट्रल स्कूलों में पूरे देश में एक ही पाठ्यक्रम और विषय पढ़ाए जाते हैं। इस समय देश में करीब 1,125 स्कूल संचालित हो रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रलय के अधीन चलने वाले देश के सेंट्रल स्कूल यानी केंद्रीय विद्यालय स्तरीय शिक्षा के लिए जाने जाते हैं।