गोरखपुर : शिक्षक बन निरक्षरों को साक्षर बनाएंगे बच्चे,
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : प्रदेश में साक्षरता बढ़ाने में अब परिषदीय जूनियर विद्यालयों के कक्षा छह से आठ तक के बच्चे भी सहयोग करेंगे। एक शिक्षक के रूप में ये बच्चे अपने घर पर या आस-पास कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाएंगे। इन बच्चों को शिक्षक की भूमिका में तैयार करने के लिए संबंधित विद्यालयों के अध्यापक प्रेरक के तौर पर काम करेंगे। निदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता दर 57.18 फीसद है। कई जिलों में यह प्रदेश की महिला साक्षरता दर से भी कम है। ऐसे में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को साक्षरता अभियान से जोड़ा जा रहा है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता में से दोनों या कोई एक साक्षर नहीं है, जिससे वे अपने बच्चों की पढ़ाई में अपेक्षित योगदान नहीं कर पाते हैं।
छात्रओं को विशेष रूप से प्रेरित करेंगे: इसके तहत छात्रओं को विशेष रूप से इस बात के लिए प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने माता-पिता या परिवार के जो भी व्यक्ति निरक्षर हों, उन्हें साक्षर बनाएं। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गठित मां समूहों की कोई सदस्य यदि साक्षर नहीं हैं तो संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक उन्हें साक्षर बनाएंगे। 1’>>उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्रओं को करना होगा प्रेरित1’>>परिषदीय विद्यालयों में गठित मां समूह की सभी सदस्यों को बनाना होगा साक्षर
अनुदानित विद्यालय भी करेंगे सहयोग
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा अनुदानित जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों को यह निर्देश दिया जाएगा कि वे अपने यहां अध्ययनरत छात्र-छात्रओं के माता-पिता तथा अभिभावकों में जो साक्षर न हों, उन्हें अगले तीन महीने में साक्षर बनाएंगे।
सभी को साक्षर बनाने के अभियान में अब जूनियर विद्यालयों के बच्चे भी प्रतिभाग करेंगे। इन बच्चों को प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने आस-पास कम से कम एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बनाएं।
- भूपेंद्र नारायण सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी