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उत्तराखण्ड : बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार और प्राथमिक शिक्षकों को नए साल का तोहफा

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उत्तराखण्ड : बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार और प्राथमिक शिक्षकों को नए साल का तोहफा

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ ही प्राथमिक शिक्षकों को भी नए साल का तोहफा दिया है। मंत्रिमंडल ने बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों को प्राथमिक शिक्षक बनने का मौका दिया है, वहीं प्राथमिक शिक्षकों को राहत देते हुए उनके लिए ब्लॉक के स्थान पर जिला कैडर लागू किया गया है। इससे प्राथमिक शिक्षकों को दुर्गम ब्लॉकों से जिले के सुगम क्षेत्रों में स्थानांतरित किए जाने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। यह सब उत्तराखंड राज्य प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012 में पांचवें संशोधन के जरिये मुमकिन होने जा रहा है।
मंत्रिमंडल ने नियमावली में इस संशोधन को शुक्रवार को मंजूरी दी। सचिवालय में शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 18 बिंदुओं पर चर्चा हुई। इनमें से एक को स्थगित किया गया, जबकि अन्य एक को दूसरे महकमे को भेजते हुए अगली कैबिनेट में रखने पर सहमति जताई गई। मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन केंद्र की गाइडलाइन के बाद किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने तकरीबन छह माह पहले बीएड प्रशिक्षितों के लिए भी प्राथमिक शिक्षक बनने के बंद दरवाजे खोले थे। हालांकि, प्राथमिक शिक्षक बनने पर बीएड प्रशिक्षितों को छह माह का ब्रिज कोर्स भी अनिवार्य रूप से करना होगा। नियमावली में प्राथमिक शिक्षक की अर्हता में स्नातक के साथ दो वर्षीय डिप्लोमा के साथ ही विकल्प के तौर पर 50 फीसद अंकों के साथ स्नातक व शिक्षा स्नातक (बीएड) को जोड़ा गया है। इस व्यवस्था से बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक शिक्षक के तौर पर दोबारा रोजगार मिल सकेगा।
नियमावली में संशोधन के जरिये टीईटी-प्रथम में टीईटी की मेरिट सूची के आधार पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति में वरीयता मिलेगी। इससे पहले श्रेष्ठता के स्थान पर वर्षवार टीईटी को प्राथमिकता दी जा रही थी। नियमावली में अन्य महत्वपूर्ण संशोधन के जरिये प्राथमिक शिक्षकों के ब्लॉक कैडर को जिला कैडर में परिवर्तित किया गया है। इन शिक्षकों का नियोक्ता अब खंड शिक्षा अधिकारी के स्थान पर जिला शिक्षा अधिकारी-प्रारंभिक शिक्षा होगा। इस व्यवस्था से प्राथमिक शिक्षकों का तबादला अब जिले के भीतर किसी भी क्षेत्र में आसानी से हो सकेगा।
खासतौर पर दुर्गम में कम होती छात्रसंख्या के चलते वहां विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की संख्या अधिक हो गई है। वहीं सुगम क्षेत्रों के विद्यालयों में छात्रसंख्या अधिक होने के बावजूद शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस संशोधन के साथ यह समस्या दूर होने की उम्मीद है।
एनसीईआरटी किताबों की कीमत बढ़ी
सरकार ने अगले शैक्षिक सत्र 2019-20 में भी सरकारी व निजी विद्यालयों के लिए एनसीईआरटी की किताबें लागू रखने का फैसला जारी रखा है। कक्षा एक से आठवीं तक सभी छात्रों और नवीं से बारहवीं तक सभी छात्राओं, अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली मुफ्त किताबों के एवज में किताबों का मूल्य डीबीटी के जरिये सीधे उनके बैंक खातों में भेजा जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की ओर से एनसीईआरटी की किताबों की कीमत में की गई वृद्धि को राज्य में लागू करने को स्वीकृति दी। अब कक्षा एक से पांच तक किताबों की कीमत 150 रुपये से बढ़कर 250 रुपये और कक्षा छह से आठ तक किताबों का मूल्य 250 रुपये के स्थान पर 400 रुपये तय किया गया है।
किताबों का मूल्य बढ़ने से सरकारी खजाने पर तकरीबन तीन करोड़ का बोझ बढ़ेगा। 2000 डिग्री शिक्षकों को नया वेतन मंत्रिमंडल ने सरकारी विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों व सहायताप्राप्त डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की मुराद पूरी कर दी। इन शिक्षकों को एक जनवरी, 2016 से बढ़ी हुई धनराशि मिलेगी। इससे कुमाऊं विश्वविद्यालय, आवासीय विश्वविद्यालय, मुक्त विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के साथ ही सरकारी डिग्री कॉलेज और सहायताप्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों के करीब 2000 शिक्षकों को लाभ मिलेगा, जबकि सरकारी खजाने पर 130 करोड़ का भार पड़ेगा। एरियर का भुगतान बाद में किया जाएगा। 13 साल बाद विनियमों को मंजूरी
इसी तरह तकनीकी विश्वविद्यालय विनियमावली, 2018 को मंजूरी दी गई। वर्ष 2005 में विश्वविद्यालय एक्ट बनने के करीब 13 साल बाद विनियम बनने से अब विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव से लेकर तमाम पदों पर भर्ती, पदोन्नति, कार्यपरिषद, शैक्षिक परिषद समेत तमाम संस्थाओं के कार्य संचालन के विनियम तय कर दिए गए हैं। सरकार ने 28 नवंबर, 2018 को विश्वविद्यालय में 72 पदों को पुनर्गठित किया था।
कोर्ट केस से निपटेंगे विधि अधिकारी
सरकार ने बढ़ते कोर्ट केस की समस्या से निपटने को सचिवालय में 10 पूर्णकालिक विधि अधिकारियों को नियुक्त करने का निर्णय लिया है। विभिन्न महकमों में साल-दर-साल कोर्ट केस में इजाफा हो रहा है। देखने में ये आया है कि विभागों और सरकार की ओर से उक्त मामलों में प्रभावी तरीके से पैरवी नहीं हो पा रही है। विधि अधिकारियों के जरिये अब मामलों में पुख्ता पैरवी का आधार तैयार किया जाएगा। इन्हें 3000 रुपये प्रति कार्यदिवस मानदेय मिलेगा। साथ ही यात्रा की स्थिति में प्रथम श्रेणी का टीए-डीए मुहैया कराया जाएगा। विधि अधिकारी के लिए सात वर्ष का वकालत अनुभव आवश्यक होगा।
हाईकोर्ट का अनुभव रखने वालों को वरीयता दी जाएगी। प्रदर्शन अच्छा नहीं रहने पर इन्हें हटाया जा सकेगा। विधि अधिकारी का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। समिति में गृह और न्याय विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री की पैरवी आई काम
मंत्रिमंडल ने अल्मोड़ा बेस चिकित्सालय में नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट नई दिल्ली के सहयोग से पीपीपी मोड में कार्डियक केयर यूनिट के संचालन को करार अवधि बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 की है। इस करार के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह और क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा ने पुरजोर पैरवी की थी। इसी तरह हरिद्वार में केंद्रपोषित योजना रूसा के तहत मॉडल महाविद्यालय की स्थापना को भूमि शहरी विकास विभाग मुहैया कराएगा। इसके लिए नगर निगम क्षेत्र में पांच एकड़ भूमि की दरकार है।
मंत्रिमंडल ने हरिद्वार में कुंभ मेला अवधि तक मेला अधिष्ठान की स्थापना को मंजूरी दी। इसके तहत मेलाधिकारी, अपर मेलाधिकारी समेत 45 पद दिए गए हैं। राजस्व को 80.63 एकड़ भूमि मंत्रिमंडल ने ऊधमसिंहनगर जिले में किच्छा स्थित खुरपिया फार्म की 80.63 एकड़ भूमि पुनर्वास विभाग से राजस्व को स्थानांतरित की जाएगी। उक्त भूमि पर कचहरी, थाना, सरकारी विद्यालय समेत तमाम सरकारी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा।

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