फर्जी शिक्षकों के परिजन भी हैं रैकेट में शामिल
तेज प्रकाश त्रिपाठी ’ सिद्धार्थनगर । गोरखपुर में मंगलवार को सिद्धार्थनगर के बीएसए के स्टेनो सहित पांच व्यक्तियों के एसटीएफ के हत्थे चढ़ने के बाद यह साफ हो गया है कि जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा ने अपनी गहरी जड़ें जमा लिया है। इस कार्य में एक से अधिक गैंग सक्रिय हैं। फर्जी तैनाती पाए शिक्षकों के अलावा उनके परिजन भी इसमें शामिल हैं। एसटीएफ के समक्ष स्टेनो ने जनपद के एक बड़े अधिकारी को हाल ही में 10 लाख देने की बात स्वीकार की है। फर्जीवाड़े के खेल में गैंग के सदस्यों व बाबुओं के साथ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
दो दिन पूर्व ही बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह ने 29 शिक्षकों को बर्खास्त किया है। गोरखपुर में पकड़े गए लोगों में से अवधेश मिश्र का मामला उक्त से अलग था। वह जनपद के उसका ब्लाक के एक विद्यालय पर तैनात अपनी शिक्षिका पत्नी को बर्खास्तगी व अन्य कार्रवाई से बचाने की जुगत में थे। इसी बीच एसटीएफ ने उन्हे धर दबोचा। विभाग में तीन स्तर पर फर्जीवाड़े का खेल खेला जाता है। पहले तो इससे जुड़े गैंग के लोग सेटिंग करके फर्जी नियुक्ति कराते हैं।
फिर गलत तरीके से सत्यापन कराकर वेतन भुगतान कराते हैं। मामला पकड़े जाने पर सेटिंग कर मामला दबाने की जुगत में लग जाते हैं। स्टेनो के पास से मिले फर्जी लेटरहेड और उनकी स्वीरोक्ति यह बताने के लिए पर्याप्त है कि फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी पाने वाले शिक्षक विभाग के लिए कामधेनु साबित होने लगते हैं। यह कमाई के साधन बन जाते हैं। पैसा देने के कारण इन पर कार्रवाई नहीं होती। जनपद में पिछले डेढ़ साल में जो बर्खास्तगी हुई है, उसके पीछे शासन का दबाव होना माना जा रहा है। यह अलग बात है कि कार्रवाई कर वर्तमान बीएसए अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं। बीएसए रामसिंह ने कहा कि जांच कर कई फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। भविष्य में यह कार्रवाई जारी रहेगी।
’>>पूर्व में तैनात रहे कई बीएसए पर अब तक नहीं हो सकी है कार्रवाई
’>>तीन स्तर पर खेला जाता है फर्जीवाड़े का खेल , अब खुल रही पोल