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प्रयागराज : प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए पीएमओ गंभीर

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प्रयागराज : प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए पीएमओ गंभीर

प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए पीएमओ गंभीर

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज: अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कॉलेजों के लिए शिक्षक चयन में देरी और अधियाचन लेने के बाद भी भर्ती का नया विज्ञापन जारी न होने से प्रतियोगियों के बाद कॉलेजों की प्रबंध सभा भी खफा है। माध्यमिक शिक्षा की तस्वीर बदरंग होने का ठीकरा चयन बोर्ड के साथ ही यूपी बोर्ड पर फोड़ा गया है। सहायताप्राप्त कॉलेजों की प्रबंध सभा उप्र ने माध्यमिक शिक्षा को दुरुस्त करने के लिए सुझाव दिए हैं और कमियां कहां है यह भी स्पष्ट किया है।
प्रबंध सभा के डॉ. महेशचंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रदेश की स्कूली शिक्षा सुदृढ़ करने के लिए पत्र अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को अक्टूबर माह में भेजा था। शासन ने चुप्पी साध ली, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने उसका न केवल संज्ञान लिया बल्कि पीएमओ के जितेंद्र कुमार मंडल ने मुख्य सचिव को उसे भेजा है। यह भी निर्देश दिया कि इस पर कार्रवाई कराएं और जवाब को पोर्टल पर अपलोड करें।

प्रबंध सभा ने लिखा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने पहली बार सहायताप्राप्त कॉलेजों से ऑनलाइन अधियाचन लिया। अधियाचन मिलने के बाद शासन टास्क फोर्स से पदों का सत्यापन करा रहा है, क्योंकि इन कॉलेजों में छात्र संख्या पहले से कम हुई है, जबकि पद सृजन कम नहीं हुआ है। डॉ. महेशचंद्र ने लिखा है कि जिन कॉलेजों में छात्र संख्या अधिक रही वहां पर अलग सेक्शन खोलने की अनुमति नहीं दी गई, बल्कि एक सेक्शन में छात्रों के पढ़ने का मानक बदल दिया गया। वहीं, उच्च प्राथमिक स्कूलों में एक कक्षा में 35 छात्र का मानक बना है। उन्होंने सवाल किया है कि जब सहायताप्राप्त कॉलेजों में छात्र घट रहे थे तो वित्तविहीन कालेजों को लगातार मान्यता क्यों बांटी जा रही है, जबकि वहां न योग्य शिक्षक हैं और न ही शिक्षण कक्ष। फीस भी मनमाने तरीके से ली जा रही है। प्रदेश में सहायताप्राप्त कालेज काफी कम हैं, जबकि वित्तविहीन की संख्या उनकी तीन गुना हो गई है। सूबे में बीएड व डीएलएड अभ्यर्थी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन वे नियुक्ति नहीं पा रहे। प्रबंधतंत्र के अधिकार लगातार घटाए जा रहे हैं।

कंप्यूटर की शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं

सहायताप्राप्त कॉलेजों में कंप्यूटर शिक्षक, प्रयोगशाला आदि का प्रबंध नहीं हो रहा है, जबकि प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया पर जोर दे रहे हैं। यूपी बोर्ड ने परीक्षा शुल्क बढ़ा दिया है।

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