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बिहार : डूब गया गणित के वैश्विक क्षितिज का सितारा

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बिहार : डूब गया गणित के वैश्विक क्षितिज का सितारा

जागरण संवाददाता, पटना : गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (74) नहीं रहे। वह सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे। गुरुवार सुबह खून की उल्टियां होने पर परिजन उन्हें लेकर पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) दौड़े, मगर अस्पताल के गेट पर ही उनका निधन हो गया। डॉक्टरों ने देखते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन उन्हें वापस घर ले जाने के लिए शव वाहन का इंतजार करते रहे, मगर अस्पताल की ओर से कोई वाहन मुहैया नहीं कराया गया। जिस गणितज्ञ की उपलब्धियों पर पूरा देश गौरव करता है, उनका शव स्ट्रेचर पर लिए भाई अयोध्या सिंह अस्पताल के गेट के बाहर अकेले खड़े रहे। बाद में जब टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर इसकी खबर फैली तो उच्च अधिकारी होश में आए और एंबुलेंस मुहैया कराई गई। इसके बाद उनका शव कुल्हड़िया कॉम्पलेक्स स्थित उनके अपार्टमेंट लाया गया। यहां से दोपहर बाद परिजन उनका पार्थिव शरीर लेकर भोजपुर स्थित पैतृक गांव बसंतपुर ले गए।

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह

पटना में वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन

डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वह एक प्रख्यात गणितज्ञ थे। उनके परिवार व सहयोगियों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं।

-रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

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गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ। उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है। विनम्र श्रद्धांजलि!

-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पटना : 2 अप्रैल 1946 को जन्मे वशिष्ठ नारायण सिंह दुनिया भर में तब प्रसिद्ध हुए थे, जब 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर शोध किया था। नेतरहाट से स्कूली और पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह अपनी प्रतिभा से विश्व के गणितीय क्षितिज पर सितारे की तरह चमक गए थे। उन्हें दूसरा श्रीनिवास रामानुजन कहा जाने लगा था। वशिष्ठ नारायण ने कानपुर आइआइटी और इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता में अध्यापन कार्य भी किया था।

पिछले माह अक्टूबर में भी वशिष्ठ बाबू को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। उस समय भी कोई मंत्री या विधायक उनसे मिलने अस्पताल नहीं गया था। महान प्रतिभा की उपेक्षा से परिजन असंतुष्ट दिखे। उनके भाई अयोध्या सिंह ने कहा कि वशिष्ठ बाबू को मरने के बाद भी सम्मान नहीं मिल पाया।

यह है सिजोफ्रेनिया : सिजोफ्रेनिया विखंडित मानसिकता एक मानसिक विकार है।। लगभग एक फीसद में यह पाया जाता है। इसमें रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं। वह कुछ समय लिए जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है।

पटना में गुरुवार को गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार’ जागरण

गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ। उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है। विनम्र श्रद्धांजलि!

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वह एक प्रख्यात गणितज्ञ थे। उनके परिवार व सहयोगियों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं।

रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

अपनी प्रतिभा से गणितीय क्षितिज पर सितारे की तरह चमके वशिष्ठ नारायण

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