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प्रयागराज : UPSC सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग, दिल्ली शिफ्ट हो गई IAS बनाने की फैक्ट्री

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प्रयागराज : UPSC सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग, दिल्ली शिफ्ट हो गई IAS बनाने की फैक्ट्री

आनंद मिश्र,प्रयागराज

UPSC Civil Services Exam Coaching : अस्सी के दशक तक देश को सर्वाधिक सिविल सेवक देने वाले प्रयागराज में आईएएस के मायने बदल चुके हैं। अब यहां आईएएस का मतलब भारतीय प्रशासनिक सेवा से ज्यादा आई एम शिफ्टेड हो गया है। प्रतियोगी अब यहां की आबो हवा को सिविल सेवा की तैयारी के लिए उपयुक्त नहीं मानते। देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आईएएस बनाने की फैक्ट्री का तमगा भी अब छिन चुका है। लिहाजा सिविल सेवा की तैयारी के लिए प्रतियोगियों ने दिल्ली के मुखर्जी नगर को अपना ठौर बना लिया। 

इविवि के स्तर में गिरावट बड़ी वजह
यूं तो इसकी और भी वजहें हैं पर सबसे बड़ी वजह इविवि के शैक्षिक स्तर में आई गिरावट है। सिविल सेवा कोच रनीश जैन कहते हैं कि जिस दौर में बेहतर परिणाम आते थे, उस वक्त सिविल सेवा और इविवि के स्नातक के पाठ्यक्रम में पर्याप्त समानताएं थीं। स्नातक की पढ़ाई करते वक्त ही सिविल सेवा की आधी से अधिक तैयारी हो जाती थी। इसलिए छात्रों के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास करना आसान था। 1980 तक सिविल सेवा के लिए सिर्फ लिखित परीक्षा होती थी और माध्यम भी अंग्रेजी था। इस कारण इविवि का परिणाम देश में सबसे बेहतर होता था।

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पैटर्न बदलाव से लगा तगड़ा झटका
सिविल सेवा कोच नवीन पंकज के मुताबिक सिविल सेवा में प्रयागराज के प्रदर्शन में गिरावट 2009-10 से ही प्रारंभ हो गई थी। सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के नजरिए से पहले प्री और बाद में मेंस में सिविल सिर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट यानी सीसैट लागू किए जाने के बाद स्थिति काफी ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद वैकल्पिक विषयों की अहमियत कम हो गई। यहां के प्रतियोगियों का चयन वैकल्पिक विषयों पर मजबूत पकड़ की वजह से ही होता था। प्रयागराज में प्रतियोगी छात्र मूलरूप से हिन्दी पट्टी से आते हैं जबकि सीसैट आधारित पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम के लिए ज्यादा अनुकूल है।

यूपीएससी की सूची से इविवि बाहर
सिविल सेवा परीक्षा में इविवि का नाम यूपीएससी की सूची से बाहर हो गया। हालांकि 2015 से यूपीएससी ऐसी सूची जारी नहीं कर रहा है। इससे पूर्व 2008 में इविवि देश में चौथे स्थान पर था तो 2009 में इसका पांचवां, 2010 में आठवां, 2011 में 37वां और 2012 में 41वां स्थान था। उसके बाद के दो वर्षों यानी 2013, 2014 में इविवि इस सूची से बाहर था।

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पैटर्न बदलने के बाद बदल गया माहौल
प्रयागराज मंडल के आयुक्त रहे 1969 बैच के पीसीएस और 1979 बैच के आईएएस अफसर बादल चटर्जी कहते हैं कि पहले सिविल सेवा परीक्षा का पेपर इविवि और दिल्ली यूनिवर्सिर्टी के शिक्षक सेट करते थे। उन्हें पेपर का पैटर्न पता होता था और उसी के मुताबिक वे तैयारी करवाते थे। इस काम में जब जेएनयू का हस्तक्षेप बढ़ा तो पेपर का पैटर्न वहां के शिक्षकों के मुताबिक बदल गया। लिहाजा छात्र दिल्ली में रहकर तैयारी करने को ज्यादा महत्व देने लगे। 1968 से पहले तक इविवि में स्नातक में अंग्रेजी अनिवार्य थी। छात्र आंदोलन के बाद इसकी अनिवार्यता समाप्त कर दी गई। इसका सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम पर व्यापक असर पड़ा। प्रारंभिक परीक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों को समाप्त कर बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाने से इस परीक्षा की गंभीरता ही खत्म हो गई, इस वजह से भी प्रयागराज का परिणाम प्रभावित हुआ। सबसे बड़ी बात यह है कि पहले शिक्षक छात्रों के प्रति काफी समर्पित होते थे, अब ऐसा नहीं है इन सब कारणों से परिणाम प्रभावित हुआ है।

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हॉस्टलों में नहीं रहा पहले जैसा माहौल
इविवि के डीन साइंस रहे प्रो. एके श्रीवास्तव कहते हैं कि इसकी सबसे बड़ी वजह शिक्षकों की कमी की वजह से इविवि के शिक्षा के स्तर में आई गिरावट है। शिक्षकों के न होने से पढ़ाई का स्तर पहले जैसा नहीं रहा, प्रैक्टिकल तो हो ही नहीं पा रहा है। दूसरी बड़ी वजह है हॉस्टलों का खराब माहौल। पहले प्रतियोगी छात्रों को शिक्षक तो गाइड करते ही थे, हॉस्टल के वरिष्ठ छात्रों का मार्गदर्शन भी उन्हें मिलता था। हॉस्टलों में प्रतिस्पर्धा का माहौल था, जो अब बिल्कुल समाप्त हो चुका है। जिसका नतीजा सबके सामने है।

गिरावट की प्रमुख वजहें
-इविवि के शिक्षा स्तर में आई भारी गिरावट।
-हॉस्टलों का खराब हो चुका माहौल।
-सिविल सेवा और स्नातक के पाठ्यक्रम में अंतर।
-सिर्फ आईएएस को केंद्रित कर तैयारी का अभाव।
-पैटर्न बदलाव के बाद भी तैयारी के ढर्रे में बदलाव न किया जाना।
-शिक्षकों की कमी की वजह से सटिक मार्गदर्शन न मिल पाना

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