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गोरखपुर : बच्‍चों में चिड़चिड़ापन व बेचैनी पैदा कर रहा ऑनलाइन पढ़ाई का तनाव

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गोरखपुर : बच्‍चों में चिड़चिड़ापन व बेचैनी पैदा कर रहा ऑनलाइन पढ़ाई का तनाव

गोरखपुर, जेएनएन। केस वन : महानगर के प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा आठ का छात्र इन दिनों चिड़चिड़ापन, बेचैनी व घबराहट जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। पढ़ाई में होनहार यह छात्र पहले बिल्कुल ठीक था, लेकिन इधर कुछ हफ्ते से ऑनलाइन पढ़ाई के बाद उसकी परेशानी बढ़ गई हैं।

केस टू :

शहर के ही एक स्कूल में कक्षा छह के छात्र की मानसिक स्थिति भी कुछ दिनों से ठीक नहीं है। बात-बात में गुस्सा करना, आत्मविश्वास में कमी, चिड़चिड़ापन जैसी दिक्कतें हैं। ऑनलाइन पढ़ाई में चीजों को समझने में दिक्कतों के कारण परेशानी बढ़ती जा रही है।यह दो मामले तो बानगी भर हैं, हाल के दिनों में ऐसे बच्‍चों की तादाद तेजी से बढ़ी है, जो ऑनलाइन पढ़ाई में आ रहीं समस्याओं के चलते मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वह बच्‍चे हैं, जो मेधावी हैं, अच्‍छे नंबरों से पास होते रहे हैं। कक्षा में अच्‍छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। अपनी इन्हीं खूबियों के कारण घर में भी माता-पिता व भाई-बहन के दुलारे हैं। अचानक इनके बर्ताव व मानसिक स्थिति में बदलाव ने परिवारीजनों को चिंता में डाल दिया है। परेशान अभिभावक बच्‍चों को लेकर मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास भी पहुंच रहे हैं। ऐसी दशा में चिकित्सक, अभिभावकों को बच्‍चों में तनाव का कारण समझने और उनकी मुश्किलें साझा करने की सलाह दे रहे हैं।

सवालों का पूरा जवाब नहीं मिलने से समस्या

बच्‍चों में आए इस तरह के मानसिक बदलाव के पीछे विशेषज्ञ ऑनलाइन पढ़ाई को एक बड़ी वजह मानते हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन व कक्षा की पढ़ाई में जमीन-आसमान का फर्क है। कक्षा में शिक्षक सामने होता है, तो जो बात या स्टेप समझ में नहीं आता, बच्‍चा सीधे पूछ लेता है। वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. सीबी मद्धेशिया का कहना है कि कक्षा में शिक्षक समस्याओं का समाधान करने के बाद ही अगले स्टेप पर जाते हैं। इससे बच्‍चे को पूरी बात समझ में आती है। ऑनलाइन पढ़ाई में काफी कुछ बदल गया है।ज्यादातर मामलों में शिक्षक पढ़ाते तो हैं, लेकिन जरूरत पर छात्र उनसे सीधा संवाद नहीं कर पाते हैं। इससे संबंधित पाठ पूरा होने के बाद भी छात्र कई स्टेप समझ नहीं पाते। विज्ञान व गणित के छात्रों के मामले में यह समस्या अधिक है। इससे छात्रों में आत्मविश्वास की कमी आती है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, बेचैनी व घबराहट में तब्दील हो जाती है।बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रभात अग्रवाल बताते हैं कि छोटी क्लास के बच्‍चों के साथ दूसरी समस्या है। उन्हें एक तो मोबाइल का इस्तेमाल करना नहीं आता, दूसरे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बातों को समझ नहीं पाते। ऐसे में पढ़ाई के समय उनके साथ माता-पिता को भी मौजूद रहना पड़ता है। इससे बच्‍चों का विकास प्रभावित होता है। बड़ी क्लास के बच्‍चों के साथ दूसरी समस्या है। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान शिक्षक उस तरह से नहीं समझा पा रहे, जैसे कक्षा में संवाद के जरिये बच्‍चे समझ पाते हैं। पढ़ाई से जुड़ी बातें समझ में नहीं आने से बच्‍चों में तनाव बढ़ रहा है। कई जगह यह बात सामने आई है कि घर में कई बच्‍चे हैं और मोबाइल मात्र एक। इसके चलते उनकी पढ़ाई बाधित होती है। यह भी तनाव की वजह है।

ऐसे रखें ध्यान

बच्‍चों के व्यवहार व मानसिक स्थिति में होने वाले बदलाव पर नजर रखें

तनाव का कारण समझें, मुश्किलें साझा करें

कोई परेशानी होने पर उन्हें सहानुभूति पूर्वक समझाएं

काउंसिलिंग करें, बच्‍चों को बताएं कि जो बातें समझ में नहीं आएं, उन्हें अपने शिक्षक से बात कर समझने का प्रयास करें।शिक्षकों चाहिए कि पढ़ाई के दौरान जो भी बातें बच्‍चों को समझ में न आएं, उन्हें दो-तीन बार समझाएं। बच्‍चों की समस्या को टालें नहीं।

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