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गोरखपुर : फर्जी शिक्षक केस:इस्‍तीफा देने वाले शिक्षक की हुई जांच तो फर्जी निकले सर्टिफिकेट, तीन बर्खास्‍त

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गोरखपुर : फर्जी शिक्षक केस:इस्‍तीफा देने वाले शिक्षक की हुई जांच तो फर्जी निकले सर्टिफिकेट, तीन बर्खास्‍त

हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर:शासन की सख्ती के बाद अब फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त करने में तेजी आयी है। गोरखपुर में लगातार फर्जी शिक्षकों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।शुक्रवार को भी तीन फर्जी शिक्षक बीईओ की जांच के बाद बर्खास्त कर दिए गए। बर्खास्त तीन शिक्षकों में से एक गोरखपुर विश्वविद्यालय के बीएड अंकपत्र और दूसरे ने कानपुर विश्वविद्यालय के फर्जी अंकपत्र पर नौकरी पाई थी। अंकपत्र के सत्यापन पर दोनो ही विश्वविद्यालयों ने अंकपत्र फर्जी होने की पुष्टि की है। इसके बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई हुई। वहीं तीसरी शिक्षिका दूसरे के नाम पर नौकरी कर रही0 थी। गोरखपुर के बर्खास्त शिक्षकों को आंकड़ा अब 54 हो गया है। 

*त्याग पत्र देने से हुआ संशय :*

फर्जी शिक्षकों पर बढ़ती सकती को देखकर फर्जी शिक्षक अब त्याग पत्र देकर बर्खास्तगी के कलंक से बचने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इनकी ये चाल कामयाब नहीं हो सकी। त्याग पत्र देकर बचने का खेल पिपराइज के प्राथमिक विद्यालय हेमछापर पर तैनात रहे सहायक अध्यापक नरेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने भी किया था। नरेन्द्र ने बेसिक शिक्षा विभाग को अपना त्याग पत्र भेजा तो विभाग को संदेह हुआ और इनके प्रमाण पत्रों की जांच करायी गई। नरेन्द्र कुमार त्रिपाठी का बीएड प्रमाण पत्र गोरखपुर विश्वविद्यालय सत्यापन के लिए भेजा गया। जहां से पता चला कि जिस रोल नम्बर पर नरेन्द्र कुमार का बीएड प्रमाण जारी हुआ है वह किसी अन्य के नाम पर पंजीकृत है। नरेन्द्र कुमार त्रिपाठी की नियुक्ति फर्जी प्रमाण पत्रों पर ही वर्ष 2010 में हुई थी। 

*एक ही अंकपत्र सही और गलत दोनों*

चरगांवा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय जंगल अहमद अली शाह पर तैनात शिक्षिका पूनम राय के बीएड अंकपत्र को छत्रपति शाहू जी महाराज से दो बार सत्यापन कराया गया।लेकिन दोनों ही बार विश्वविद्यालय की ओर से अलग-अलग रिपोर्ट दी गई। कानपुर विश्वविद्यालय की ओर से पहली रिपोर्ट 31 मई 2018 को दी गई। जिसमें बीएड अंकपत्र को ‘नॉट जेनुइन’ बताया गया। दोबारा सत्यापन कराने पर विवि की ओर से 6 मई 2019 को सत्यापन रिपोर्ट ‘फर्स्ट’ लिखकर आया। दोनो रिपोर्ट में भिन्नता होने पर तीसरा सत्यापन के लिए कानपुर विश्वविद्यालय से कई रिमाइंडर के बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिली। बाद में विवि का जवाब ‘नॉट जेनुइन’ आया। इसके बाद शिक्षका पूनम राय से स्पष्टीकरण मांगा गया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। बीईओ ने जांच की और इसके आधार बीएसए ने शिक्षिका पूनम राय को बर्खास्त कर दिया।  पूनम राय की नियुक्ति वर्ष 2006 में हुई थी।

*दूसरे के पैनकार्ड पर की नौकरी*

वहीं चंदौली के बीआरसी पर तैनात सहायक समन्वयक सुनीता तिवारी ने गोरखपुर के बीएसए को शिकायत की थी कि उनके पैन कार्ड का प्रयोग  पॉली ब्लॉक के प्रा‌थमिक विद्यालय बाघनगर गोल्हयी पर तैनात दूसरी सुनीता तिवारी की ओर से किया जा रहा है। जांच खण्ड शिक्षा अधिकारी को दी गई। जांच रिपोर्ट के बाद पहले निलम्बन हुआ। इसके बाद दूसरे के पैनकार्ड का प्रयोग करने वाली फर्जी सहायक समन्वयक सुनीता तिवारी को बर्खास्त किया गया।

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