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प्रयागराज : चयन बोर्ड ने प्रवक्ता के साक्षात्कार में नेट पर दे दिया 10 अंक का भारांक

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प्रयागराज : चयन बोर्ड ने प्रवक्ता के साक्षात्कार में नेट पर दे दिया 10 अंक का भारांक

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने मनमाने तरीके से पीएचडी की जगह नेट पर दे दिया 10 अंक*

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से प्रवक्ता भूगोल के चयन में नियमों को गलत तरीके से लागू करके एक अभ्यर्थी को पीएचडी पूरी नहीं होने पर भी नेट का 10 अंक का भारांक देकर अंतिम चयन कर दिया। प्रवक्ता भूगोल के पद पर हमीरपुर के श्री विद्या इंटर कॉलेज में चयनित कमल कुमार त्रिपाठी की शिकायत डॉ.अनूप सिंह की ओर से किए जाने के बाद यह बात सामने आई। बिना पीएचडी के उसका अंक देने की शिकायत में अब नेट के आधार पर 10 अंक का भारांक देने पर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर में चयन बोर्ड ने क्या अपनी नियमावली बदल दी है क्या। अभी तक चयन बोर्ड की ओर से पीएचडी में भारांक देने का नियम रहा है, नेट के बदले अंक देने का कोई नियम नहीं है। 
आईजीआरएस में शिकायत के बाद हमीरपुर के जिला विद्यालय निरीक्षक श्याम सरोज वर्मा ने यूपी बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव को भेजी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि प्रवक्ता भूगोल के पद पर चुने गए और श्री विद्या इंटर कॉलेज में नियुक्ति पा चुके कमल कुमार त्रिपाठी को पीएचडी का अंक नहीं दिया गया है। चयन बोर्ड की ओर से उन्हें नेट का नंबर दिया गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने शिकायतकर्ता डॉ. अनूप सिंह को भेजे जवाब में कहा है कि उनकी शिकायत पोषणीय नहीं होने के चलते उसे निरस्त किया जाता है। आखिर में चयन बोर्ड ने किस आधार पर नेट अर्हता वाले अभ्यर्थी को 10 अंक का भारांक दिया, इस बारे में चयन बोर्ड का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हैं। इससे पूर्व में भी चयन बोर्ड ने शारीरिक शिक्षा शिक्षक के चयन में एमपीएड वालों को भारांक दे दिया था, शिकायत के बाद इन चयनित शिक्षकों का विद्यालय आवंटन फंसा है।

*साक्षात्कार में बीएड, एमएड, पीएचडी पर मिलता है भारांक* 

चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी एवं प्रवक्ता के साक्षात्कार में बीएड, एमएड और पीएचडी की उपाधि पूरी होने पर भारांक देने का नियम है। इसके अतिरिक्त किसी दूसरी अर्हता पर अभ्यर्थी को भारांक देने का कोई नियम नहीं है। चयन बोर्ड से जुड़े पूर्व अधिकारी ने बताया कि नियमावली के बारे में जानकारी स्पष्ट नहीं होने से एमपीएड को एमएड के समकक्ष मानकर भारांक दे दिया गया और नियुक्ति फंस गई। उन्होंने बताया कि नेट अर्हता तो विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इंटर कॉलेज में प्रवक्ता अथवा टीजीटी के लिए इस अर्हता का कोई मतलब नहीं है।

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