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महराजगंज : दयानन्द त्रिपाठी हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित "हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद" तेलंगाना के राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी ने प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित

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महराजगंज : दयानन्द त्रिपाठी हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित "हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद" तेलंगाना के राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी ने प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित

महराजगंज । हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद द्वारा उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज के शिक्षक साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी को राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में प्रतिभाग लेने के उपलक्ष्य में प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित करते हुए इनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करता है।

हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद के संयोजक और संस्थापक अध्यक्ष डॉ रियाज-उल अंसारी और संचालक डॉ विद्याधर जी ने बताया कि 20 सितम्बर को हुए राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी हिन्दी दिवस के अवसर पर मंच से देशभर के  हिन्दी के पुरोधा ने जुड़कर मंच को गौरवान्वित किया। इसके साथ मंच ने 84 प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करता है।
  
आप सबको बताते चलें हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद के मुख्य वक्ता श्री गिरीश्वर मिश्र पूर्व कुलपति महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा ने हिन्दी विश्व और नई सदी की सांस्कृतिक चुनौतियां विषय पर सारगर्भित व्याख्यान से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । तकनीकी विषय पर श्री विजय प्रभाकर नगरकर जी जो सेवानिवृत्त राजभाषा अधिकारी बीएसएनएल, महाराष्ट्र ने स्मार्ट फोन से स्मार्ट हिन्दी विषय पर तकनीकी जानकारियों को देते हुए अपना व्याख्यान दिया जिससे मंच से जुड़े सभी लोग लाभान्वित होते हुए तकनीकी जानकारियों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त की। इसी क्रम में श्री ऋषभदेव शर्मा जी पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष द०भा०हि०प्र०स०, हैदराबाद सहित और तमाम मनीषीयों ने अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया जो सभी के लिए हिन्दी विषय की महत्ता और समाजिक पकड़ पर विचार रखने का श्रेष्ठतम माध्यम है।

अन्त में संयोजक और संस्थापक अध्यक्ष डॉ रियाज-उल अंसारी जी ने अलमारी, साबुन, कप्तान, तंबाकू, तौलिया (टावेल)बाल्टी, कमरा, पिस्तौल, पादरी, गिरजा किस भाषा के शब्द हैं, बताइए तो जरा? ये पुर्तगाली भाषा से हिन्दी में आए हैं। यदि आप इनका प्रयोग करते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि आप पुर्तगाली शब्द बोलते हैं।उस्ताद, रेशम, जहान, चाकू, आदमी, गुलाब, चश्मा, बाग (बगीचा),  दुकान, कलम, दोस्त, कारखाना, खरगोश, जमीन, रूमाल, साकी, सिपाही, सितार, शहर, रास्ता, सुराही,फारसी के शब्द हैं । साथ ही गरीब, अमीर, ईमानदार, इन शब्दों से भला कौन परिचित न होगा? और दुनिया, अदालत, किताब, दौलत, हुक्का, किस्सा और मालिक शब्दों का प्रयोग भला ऐसा कौन होगा जो न करता होगा? ये सभी अरबी भाषा के शब्द हैं। जो बहुधा हिन्दी प्रयोग में आते हैं। ऐसे तमाम शब्द हैं जो हिन्दी के बोलचाल में प्रयोग होते हैं। हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद तेलंगाना, भारत ने हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के लिए बीड़ा उठाया लिया है । सबका अभिवादन और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी के समापन की घोषणा की।

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