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गोरखपुर : 75 फीसद अभिभावक बच्चों को नहीं भेजना चाहते विद्यालय

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गोरखपुर : 75 फीसद अभिभावक बच्चों को नहीं भेजना चाहते विद्यालय

 
गोरखपुर : कोरोना के बीच 15 अक्टूबर से स्कूल खोले जाने के निर्देश के बाद भले ही स्कूल प्रबंधन ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन अभिभावक अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा नौ से 12 तक की कक्षाएं संचालित कराने के लिए कराए गए सर्वे में महज 25 फीसद अभिभावक ही अपने बच्चों को भेजने के पक्ष में हैं। इन अभिभावकों ने लिखित अनुमति भी विद्यालय के प्रधानाचार्यो को दे दी है। सर्वे में 75 फीसद अभिभावक कोरोना के कारण अपने बच्चों को स्कूल भेजने से साफ मना कर दिया है।



प्रदेश सरकार ने इसके पहले 21 सितंबर से स्कूल खोलने का निर्देश जारी किया था, जिसे बाद में सरकार ने वापस ले लिया। इसी दौरान निदेशक माध्यमिक शिक्षा के निर्देश पर डीआइओएस ने जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में स्कूल खोले जाने को लेकर सर्वे शुरू कराया। लगभग दस दिनों तक चले सर्वे में जिले के सभी 485 माध्यमिक स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाले दो लाख 45 हजार 384 बच्चों के अभिभावकों से लिखित और मौखिक राय ली गई। इनमें से 61 हजार 524 अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रधानाचार्यों को लिखित रूप में अनुमति दे दी, जबकि अन्य ने स्कूल भेजने से साफतौर से इन्कार कर दिया है। इस दौरान विभाग ने जनपद में कोरोना को लेकर एक लाख 45 हजार 286 (69.20 फीसद) अभिभावकों को जागरूक भी किया।

436 स्कूलों ने पूरी की तैयारी

कोरोना के मद्देनजर स्कूल खोलने को लेकर जिले के 436 माध्यमिक विद्यालयों ने स्वच्छता बनाए रखने व संक्रमण से सतत बचाव की तैयारी पूर्ण कर ली है। स्कूलों में सैनिटाइजेशन व अन्य कार्य किए जा चुके हैं। फिजिकल डिस्टेंसिंग के बीच एक कक्षा में बीस छात्रों को बैठाने की व्यवस्था की गई है।

’>>माध्यमिक विद्यालयों के सर्वे में सामने आई अभिभावकों की राय

’>>सिर्फ 25 फीसद अभिभावकों ने ही बच्चों को स्कूल भेजने की दी लिखित अनुमति

कोरोना संक्रमण के कारण अभी छोटे बच्चों के स्कूल बंद हैं, लेकिन वहां साफ-सफाई और दीवारों पर बच्चों को आकर्षित करने वाले संदेश व चित्र बनाए जाने की कवायद जारी है। शनिवार को अहलदादपुर स्थित प्राइमरी स्कूल की दीवार पर कार्टून उकेरता कलाकार ’ पंकज श्रीवास्तव

सर्वे के लिए ब्लाकवार सक्रिय प्रधानाचार्यों को नोडल अधिकारी बनाया गया था। उन्हीं के नेतृत्व में सर्वे कराया गया। इस दौरान कुछ शिक्षकों ने बच्चों के घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क किया तो कुछ ने दूरभाष के जरिये अनुमति ली। सर्वे में एकत्र सूचना के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेज दिया गया है। ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, भदौरिया, डीआइओएस

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