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गोरखपुर : आठ साल सोये, अब शुरु की लापता शिक्षकों की तलाश

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गोरखपुर : आठ साल सोये, अब शुरु की लापता शिक्षकों की तलाश






जिले के परिषदीय स्कूलों के बीस शिक्षक बीते चार से आठ साल से स्कूल नहीं आ रहे हैं। इसके बावजूद एक से दो साल पहले तक उनके खाते में सैलरी भी जाती रही। अब बेसिक शिक्षा विभाग को इनकी सुध आयी है और इन Бलापता शिक्षकों की तलाश शुरू की है। बीएसए भूपेन्द्र नारायण सिंह की पहल पर इन शिक्षकों के खिलाफ तीन नोटिस जारी हो चुके हैं। ªजल्द ही इन शिक्षकों की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला तो इनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।

बेसिक शिक्षा विभाग अब तक फर्जी शिक्षकों की तलाश कर रहा था लेकिन अब वह अपने उन शिक्षकों की तलाश शुरू किया है जो फर्जी नहीं हैं लेकिन बीते चार से आठ साल से स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसका खुलासा कुछ लोगों की शिकायत के बाद बीएसए द्वारा सैलरी चार्ट का मिलान कराने के बाद हुआ। इसके बाद से इन सभी शिक्षकों को पहली बार 25 जून 2019 को नोटिस जारी करते हुए सेवा पुस्तिका के साथ कार्यालय में उपस्थित होने को कहा गया। मगर ये शिक्षक उपस्थित नहीं हुए। विभाग ने नियम के अनुसार इन सभी शिक्षकों को दो बार और एक फरवरी 2020 और छह फरवरी 2020 को नोटिस जारी करते हुए कार्यालय बुलाया। मगर अभी तक कोई शिक्षक उपस्थित नहीं हुआ। अब विभाग की तरफ से इन सभी शिक्षकों पर फाइनल कार्रवाई की तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि एक हफ्ते में एक और नोटीस भेजकर विभाग इनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई कर देगा। हालांकि स्कूल से गायब होने वालों में शिक्षक कर्मचारी समेत 25 थे। इनमें से दो अनुचर नोटिस के बाद उपस्थित हो चुके हैं। जिनके खिलाफ जांच चल रही है। एक शिक्षिका का निधन हो चुका है। दो और शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच में कार्रवाई की जा चुकी है।

खंड शिक्षाधिकारियों ने नहीं ली सुध

बीएसए के अनुसार अगर कोई शिक्षक लगातार दो से तीन माह नहीं आता है तो यह बीईओ की जिम्मेदारी होती है कि वह उक्त शिक्षक का पता लगाएं और कार्रवाई करें। मगर उस समय विभिन्न बीआरसी केंद्रों पर तैनात खंड शिक्षाधिकारियों ने यह सुध नहीं ली की उसके बीआरसी केंद्र के किस विद्यालय का कौन शिक्षक कितने दिनों से गायब चल रहा है। अगर देखा जाय तो यह सभी शिक्षक वर्ष 2012 से 2014 के बीच से गायब हैं।

तो वर्ष 2019 के पहले तक इन शिक्षकों को मिलता रहा वेतन

विभाग की तरफ से इन शिक्षकों की तलाश 25 जून 2019 से शुरू की गयी और पहली नोटिस जारी की गयी। इसके पहले विभाग के अधिकारियों को यह नहीं पता था कि यह शिक्षक स्कूल जा रहे हैं या नहीं। तो इससे यह सवाल उठता है कि क्या इसके पहले इन सभी शिक्षकों को तात्कालीक बीईओ की रहम पर लापता शिक्षकों को वेतन मिलता रहा।

इन शिक्षकों को खोज रहा शिक्षा विभाग

पूर्व माध्यमिक विद्यालय गंगा पिपरा खजनी की प्रियंका दूबे, प्राथमिक विद्यालय पगार खजनी की अर्चना कुमारी, प्राथमिक विद्यालय विषुनपुरा खुर्द खोराबार की मोनिका ओझा, प्राथमिक विद्यालय बरइपुर पिपराइच की स्निगता त्रिपाठी, प्राथमिक विद्यालय कैम्पियरगंज की निर्मला गुप्ता, पूर्व माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर भटहट की आदर्षी देवी, प्राथमिक विद्यालय जुमुनिया की गरिमा सिन्हा, प्राथमिक विद्यालय ठाकुरपुर नंबर दो की महक चंचल, प्राथमिक विद्यालय अतरौलिया की अर्चना सिंह, प्राथमिक विद्यालय डुमरी नंबर एक के रंजीत यादव, प्राथमिक विद्यालय बलुघट्टा ब्रह्मपुर की सीमा गौतम, प्राथमिक विद्यालय विशुनपुरा ब्रह्मपुर की सुनीता सिंह, प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर गगहा की ममता शर्मा, प्राथमिक विद्यालय पिछौरा के अजय कुमार, प्राथमिक विद्यालय उज्जीखोर सहजनवां की फरहा नाज, पूर्व माध्यमिक विद्यालय पूर्वा उरूवा की अर्चना सिंह, प्राथमिक विद्यालय महुआपार बड़हलगंज की रंजना यादव, पूर्व माध्यमिक विद्यालय छितौना बुजुर्ग गोला की कीर्ति सिंह।

यह सभी शिक्षक छह से आठ वर्षो से स्कल से गायब हैं। तीन नोटिस भेजकर सभी को सेवा पुस्तिका के साथ उपस्थित होने को कहा जा चुका है। अभी तक कोई शिक्षक उपस्थित नहीं हुआ है। एक बार और नोटिस भेजी जाएगी। इसके बाद सभी की सेवा समाप्ति की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

बीएन सिंह, बीएसए, गोरखपुर


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