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प्रयागराज : सरकारों ने नकारा तो न्यायालय बना सहारा, शिक्षकों व गैर शिक्षक स्टाफ को होगा लाभ

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प्रयागराज : सरकारों ने नकारा तो न्यायालय बना सहारा, शिक्षकों व गैर शिक्षक स्टाफ को होगा लाभ

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल, 2005 के बाद नियुक्ति पाने वाले पुरानी पेंशन पाना चाहते हैं। उनकी तादाद हजारों में हैं और मांग भी नई नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलों के वादे जरूर चकित करते हैं। इन दिनों विपक्षी दल पुरानी पेंशन के हिमायती हैं, लेकिन जब वे सत्ता में रहे तो इस मांग को नहीं माना। अब हाई कोर्ट ने एडेड जूनियर हाईस्कूलों के करीब 9000 शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मियों को बड़ी राहत दी है। इस निर्णय ने पहले की सरकारों को आईना भी दिखाया है। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आदेश का अनुपालन कराने के लिए निगाहें भी टिकीं हैं।

दिसंबर, 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 1000 मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों को अनुदानित करने का ऐलान किया। इसका लाभ करीब 9000 शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारी का मिला। सभी को वेतन मिलना तो दिसंबर, 2006 से शुरू हुआ लेकिन, वेतन का निर्धारण उनकी नियुक्ति तारीख को माना गया, इसको आधार मानते हुए सभी की जीपीएफ कटौती शुरू हुई, क्योंकि नियुक्ति एक अप्रैल, 2005 से पहले की थी।

2009 में मायावती सरकार ने 2006 से वेतन भुगतान को आधार मानकर सभी की जीपीएफ कटौती बंद करा दी। इससे वे पुरानी पेंशन व्यवस्था से बाहर हो गए। 2012 में अखिलेश यादव सरकार बनने पर शिक्षक व कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया लेकिन, उन्हें किसी तरह का लाभ नहीं मिला। 2017 में भाजपा सरकार बनी फिर भी जीपीएफ कटौती नहीं शुरू की गई। इसी बीच लगभग 5000 शिक्षक और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए।

बिना पेंशन गुजारा कर रहे शिक्षक व कर्मचारियों ने हाई कोर्ट की शरण ली। लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली ने 10 मार्च, 2021 को फैसला सुरक्षित किया और 16 जून आदेश को सुनाया, जिसमें शिक्षक व कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुरानी पेंशन देने का आधार कर्मचारियों की नियुक्ति तारीख से वेतन निर्धारण को माना है और चार माह में अनुपालन करने का आदेश दिया है। इसमें सेवानिवृत्त शिक्षक व कर्मचारियों को भी लाभ मिलना है।

सुरेंद्रनाथ मिश्र (सेवानिवृत्त शिक्षक, बस्ती व याची इलाहाबाद हाई कोर्ट) ने बताया कि हाई कोर्ट ने शिक्षकों और कर्मचारियों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हम सभी को विश्वास है कि सरकार न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए पेंशन देने का आदेश जल्द जारी करेगी।

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