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नई दिल्ली : जुलाई से शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की तैयारी, कक्षाएं लगाने पर फैसला बाद में, कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद होगा अंतिम फैसला

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नई दिल्ली : जुलाई से शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की तैयारी, कक्षाएं लगाने पर फैसला बाद में, कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद होगा अंतिम फैसला

नई दिल्ली।कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार होते देख देश भर में अनलाक की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। ज्यादातर राज्यों में बाजार, माल, रेस्टोरेंट, पार्क आदि को खोल दिया गया है, लेकिन स्कूल, कालेज समेत सभी शैक्षणिक संस्थान अभी बंद हैं। इन्हें जल्द खोलने की तैयारी है। माना जा रहा है कि जुलाई में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद शैक्षणिक संस्थानों को दाखिले और परीक्षा इत्यादि के लिए खोलने की अनुमति दी जा सकती है। फिलहाल राज्यों से इस संबंध में राय ली जा रही है।

कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद होगा अंतिम फैसला

इस बीच, शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया गया है। सभी राज्यों को इस संबंध में जरूरी पहल करने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी कक्षाएं लगाने यानी छात्रों को बुलाने पर फैसला नहीं लिया जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों को खोलने का मकसद दाखिले और लंबित परीक्षा आदि की प्रक्रिया को तेजी से शुरू करना है, क्योंकि जुलाई में दसवीं और बारहवीं के भी नतीजे आने वाले हैं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर पूरी तरह से स्थिति साफ होने तक छात्रों को बुलाने का फैसला नहीं किया जाएगा।

राज्यों से ली जा रही राय

राज्यों को भी स्थिति देखकर निर्णय लेने की छूट दी गई है। यह पहल इसलिए भी तेज की गई है, क्योंकि जुलाई और अगस्त में इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए जेईई मेन की लंबित दो परीक्षाओं और मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट परीक्षा कराने की तैयारी है। इसके ज्यादातर परीक्षा केंद्र शैक्षणिक संस्थान ही होते हैं। यह पहल उस समय शुरू की गई है, जब तेलंगाना और बिहार समेत कई राज्यों ने जुलाई से शिक्षण संस्थानों को खोलने का एलान किया है। इस बीच केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय संगठन जिस योजना पर काम कर रहे हैं, उनमें पहले नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को बुलाया जाएगा। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थान में अंतिम वर्ष और शोध से जुड़े छात्रों को बुलाया जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरे की आशंका जताई जा रही है।

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