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गोरखपुर : अनुपस्थित बच्चों का पोस्टर लगाना अनुचित : बीएसए

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अनुपस्थित बच्चों का पोस्टर लगाना अनुचित : बीएसए


जागरण संवाददाता, गोरखपुर : प्राथमिक स्कूल से बिना बताए अनुपस्थित चल रहे बच्चों को स्कूल लाने के लिए पोस्टर का सहारा लेने को बेसिक शिक्षा विभाग ने गलत ठहराया है। विभाग का कहना है कि किसी भी दशा में इस प्रयास को सही नहीं कहा जा सकता। बच्चों व उनके पिता के नाम का पोस्टर लगाए जाने के बाद इसके सही-गलत को लेकर बहस शुरू हो गई है। शिक्षकों के बीच से भी इसपर आपत्ति दर्ज कराई गई है।1क्या है मामला: खोराबार क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सिक्टौर में बिना बताए अनुपस्थित चल रहे बच्चों को स्कूल लाने के लिए गांव में पोस्टर लगाए गए थे। सहायक अध्यापक श्वेता सिंह ने एटा जिले में लागू इस तरह के नवाचार को अपनाते हुए बाल संसद के पदाधिकारियों के माध्यम से गांव में गुमशुदा की तलाश के पोस्टर लगवाए थे। श्वेता के अनुसार इसके पीछे उनका उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को स्कूल में लाना था। इसके बाद कुछ बच्चे स्कूल आने भी लगे लेकिन इस तरीके की वैधता को लेकर खड़े किए जाने लगे।1क्या कहता है शिक्षा विभाग: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने दूरभाष पर बताया कि इस तरह के प्रयास की जानकारी आज ही हुई है। इसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। स्कूल में हर बच्चे का नाम व पता होता है, उसके घर जाकर संपर्क करना चाहिए। पोस्टर लगाना अनुचित है। संबंधित शिक्षक को चेतावनी दी गई है। साथ ही जिले में अन्य कोई शिक्षक इसे नजीर न बनाएं, इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं।1हीन भावना का शिकार हो सकते हैं बच्चे: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. मानवेंद्र सिंह का कहना है कि बच्चों को स्कूल लाने के लिए पोस्टर लगाने को उचित नहीं कहा जा सकता। भले ही इसके पीछे उद्देश्य सकारात्मक हो लेकिन यह तरीका गलत है। इससे बच्चे तथा उनके परिवार के लोग हीन भावना के शिकार हो सकते हैं। उनके दिमाग पर एक गलत प्रभाव पड़ेगा। यह काम बच्चों से करवाना भी उतना ही गलत है।1क्रूरता के दायरे में आता है यह कृत्य: आपराधिक मामलों के अधिवक्ता राजेश पांडेय का कहना है कि किसी भी बच्चे के लिए गुमशुदा का पोस्टर लगाने का कार्य उसके प्रति क्रूरता के दायरे में आएगा। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 के तहत इसमें तीन साल तक की सजा व एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।’>>बच्चों को स्कूल लाने के इस तरीके पर उठाए जा रहे 1’>>खोराबार क्षेत्र में पोस्टर लगाने के बाद शुरू हुई बहस1क्या कहती हैं शिक्षक1नवाचार के रूप में इस तरीके को अपनाने वाली शिक्षक श्वेता सिंह का कहना है कि उन्होंने एक नेक उद्देश्य के तहत इसे अपनाया। कपिलवस्तु में शैक्षिक संवर्धन गुणवत्ता सेमिनार में एटा जिले में अपनाए गए इस नवाचार को प्रस्तुत किया गया था। सेमिनार में इसका प्रदर्शन होने के कारण इसे अपनाते हुए विधिक पक्ष पर ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वह केवल अभिभावकों को जागरूक करना चाहती थीं, किसी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।

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