अपने ही बुने जाल में फंस गए जिले के दर्जनों विद्यालय
प्रभात कुमार पाठक ’ गोरखपुर । केंद्र निर्धारण को लेकर जनपद के दर्जनों विद्यालय अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। इस बार केंद्र निर्धारण को लेकर विद्यालयों से ऑनलाइन आधारभूत आंकड़े मांगे गए थे।
जिले के कई ऐसे विद्यालय हैं, जिन्होंने केंद्र बनने के लिए न सिर्फ कक्ष संख्या की गलत जानकारी दे डाली बल्कि कक्षों में कैमरा न होने के बाद भी कैमरा लगा होना बता डाला। यहां तक कई प्रधानाचार्यो ने तो जरूरी तथ्य तक छिपा डाले। इसका पर्दाफाश केंद्र निर्धारण के लिए विद्यालयों में मानकों की जांच करने पहुंचे जांच अधिकारियों की रिपोर्ट में हुआ है।
डीआइओएस को सौंपे गए रिपोर्ट में जांच अधिकारियों ने बताया है कि जिले में सौ ऐसे विद्यालय हैं, जिन्होंने गलत सूचनाएं दी हैं। इनमें से पुराने विद्यालय तो केंद्र बन जाएंगे, लेकिन जो विद्यालय पहली बार केंद्र बनने वाले हैं उनका पत्ता कट सकता है।
केस: एक
केंद्र निर्धारण के लिए बोर्ड ने रघुराई इंटर कालेज रामनगर करजहां से आनलाइन आधारभूत आकड़ा मांगा था। विद्यालय द्वारा छत वाले कमरों की संख्या 18 बताई गई। जबकि मौके पर 5 ही कमरे मिले। बोर्ड को दी गई सूचना में 12 कमरों को सीसी टीवी कैमरे से लैस बताया गया। जबकि पांच ही कमरे में कैमरा लगे मिले।
केस: तीन
आदर्श हायर सेकेंड्री स्कूल सोनबरसा बाजार ने बोर्ड को आनलाइन सूचना में विद्यालय में 9 कक्ष की जानकारी दी है, जबकि जांच में 8 कक्ष ही मौके पर मिले। यहां तक विद्यालय ने 500 परीक्षार्थियों के बैठने की सूचना दी थी। जबकि हकीकत में विद्यालय में 200 से अधिक छात्र परीक्षा नहीं दे सकते।
केस: दो
रामरती देवी बालिका इंटर कालेज देईपार पिपरौली में मौके पर नौ कमरे मिले। जबकि विद्यालय द्वारा 12 कमरों की सूचना दी गई थी।
’>>गलत सूचनाओं में सुधार करेगा जिविनि कार्यालय पुराने बनेंगे केंद्र तो नए का कटेगा पत्ता
’>>कक्षों में कैमरा न होने के बाद भी कैमरा लगा होना बताया गया, रिपोर्ट में खुली पोल
जिन विद्यालयों ने आनलाइन गलत सूचनाएं दी हैं। उन्हें सुधार का मौका दिया गया है। इसके बाद भी जांच में गलत सूचनाएं मिलती है तो इनके विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया, डीआइओएस