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महराजगंज : शिक्षक दिवस के अवसर पर लक्ष्मीपुर के कंपोजिट विद्यालय सोनवल के शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी सहित 6 शिक्षक हुए शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए हुए सम्मानित

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महराजगंज : शिक्षक दिवस के अवसर पर लक्ष्मीपुर के कंपोजिट विद्यालय सोनवल के शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी सहित 6 शिक्षक हुए शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए हुए सम्मानित



महराजगंज, लक्ष्मीपुर । शासन के निर्देश के क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग पहली बार प्रदेश के समस्त जनपदों के ब्लाकों के स्कूलों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को महान शिक्षाविद् एवं दार्शनिक तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मोत्सव पर 5 सितम्बर 2021 शिक्षक दिवस के अवसर पर चयन कर शिक्षकों को सम्मानित करने का कार्य कर रही है। इसी क्रम में बीईओ हेमन्त कुमार मिश्रा जी के देखरेख में लक्ष्मीपुर ब्लाक के शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी, डॉ प्रभुनाथ गुप्त, डॉ शर्मिष्ठा, राजदेव शुक्ल, सुरेंद्र गुप्ता एवं अल्पना सिंह को बेहतर कार्य के लिए शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया गया। क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य रामसेवक जायसवाल ने बीआरसी सभागार में शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।


समारोह में आते हुए शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए जिला पंचायत सदस्य रामसेवक जयसवाल, अध्यक्ष धनप्रकाश त्रिपाठी मंत्री हरिश्चंद्र चौधरी ने कहा शिक्षक सम्पूर्ण समाज का शिल्पकार हैं जो बच्चों के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का कार्य करते हैं तथा नये नये अन्वेषण कर गति प्रदान करते हैं।

इस मौके पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ लक्ष्मीपुर अध्यक्ष धनप्रकाश त्रिपाठी, मंत्री हरिश्चंद्र चौधरी, संरक्षक विकास मिश्रा, देवेन्द्र राव, कम्प्यूटर आपरेटर जयदयाल प्रजापति, देवेंद्र पाठक, सुनील चन्द्र शुक्ला, विरेन्द्र, विनीत त्यागी आदि तमाम शिक्षक मौजूद थे।

शिक्षक_दिवस पर छन्द मुक्त रचना...

शिक्षक सुगम पथ प्रदर्शक बन
सही    राह    दिखलाता    है,
पथ  भ्रम  में  ना  रहें  कभी  हम
सबको उचित ज्ञान सिखलाता है।

शिक्षक बाती सा जलकर ही
अज्ञान तिमिर  का  मि‌टाता है
निच्छल ज्ञान को फैलाकर ही
मजबूत   आधार   बनाता  है।

जग  में  निराला  शिक्षक  का उर
परमार्थ का सम्वाहक बन जाता है
प्रतिपल    करता    है    अन्वेषण
नित - नव   किसलय  पनपाता  है।

नित मुरझाते फूलों को ही
नव उर्जा से भर जाता है
धूंधली जीवन की तस्वीरों में
नव  उजियारा भर जाता  है।

शिक्षक की है बड़ी महत्ता 
उस पर राष्ट्र चरित का भार,
सीमित नहीं किताबों तक वह
सचमुच वह ईश्वर का अवतार।

यदि डगर अधर में हम फंसते 
तो ज्ञान राह हमें बतलाता है
कर्त्तव्य पथ पर हमें सदा
नव जीवन दिखलाता है।

विषम परिस्थितियों में भी
अपने  दायित्व  निभाता है
गुरु-शिष्य के अनुपम रिश्ते को
नित नई शिखर पर ले जाता है।

शिक्षा  के  दान  का  बदला
कब कहां कौन चुका पाता है,
अपने   मृदुल   थापों   से  ही
राह  प्रगति का दिखलाता है।

  दयानन्द त्रिपाठी निराला
   महराजगंज, उत्तर प्रदेश।


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